Web Dunia, 5 January 2013
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भारत की धर्मनिरपेक्षता की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इस देश में जिस तरह से अलग-अलग धर्मों को मानने वाले शांतिपूर्वक निवास करते हैं, वह पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संघ सम्मेलन का यहां उद्घाटन करते हुए दलाई लामा ने कहा, भारत धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि किस प्रकार से अलग-अलग धर्मों को मानने वाले सद्भाव के साथ यहां रह रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का उपदेश लोगों की समझ और सोच पर आधारित है। करुणा और मैत्री के अभाव के कारण समाज में समस्या है। लोगों का लालच बढ़ा है। वास्तविकता को समझें। सभी धर्मों को मिलकर मानव सेवा का संकल्प लेना चाहिए।
दलाई लामा ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता हमारे लिए विशेष उदाहरण है। मनुष्य के जीवन के विकास के लिए मैत्री और करुणा जरूरी है। सभी धार्मिक स्थल ज्ञान और शिक्षा के केंद्र बनें। उन्होंने कहा कि परंपरागत धर्म में बने रहना चाहिए, धर्म परिवर्तन नहीं होना चाहिए। सभी धर्मों का आदर होना चाहिए।
दलाई लामा ने लोगों से अपने-अपने धर्म की अच्छाई को फैलाने की अपील करते हुए कहा कि जो कहें और करें यानी रोजमर्रा की जिंदगी में धर्म दिखाई पड़ना चाहिए। बौद्ध धर्म के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किए जा रहे कार्यों और उनके नेतृत्व में इस प्रदेश में जारी विकास कार्यों की प्रशंसा करते हुए तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व में बिहार तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है।
तिब्बती धर्मगुरु का इशारा नए नालंदा इंटरनेशनल विश्वविद्यालय और पटना के पुराने जेल के स्थान पर बुद्ध स्मृति पार्क की स्थापना की ओर था। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संघ समागम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेश कल भी प्रासंगिक थे, जो कि आज भी हैं और आगे भी रहेंगे।
नीतीश ने कहा कि दुनिया को चाहिए शांति। उनका (भगवान बुद्ध) उपदेश शांति के लिए था तथा अतिवाद से बचने के लिए उन्होंने मध्यम मार्ग का रास्ता दिखाया था। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म का संबंध विज्ञान से भी है और भगवान बुद्ध के उपदेशों का जितना प्रचार करेंगे, उतना ही मानव जाति को फायदा पहुंचेगा।
नीतीश ने कहा कि दुनिया में जितने भी विचार विद्यमान हैं, उन सबके बीच बातचीत होनी चाहिए। विचारों का आदान-प्रदान कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। करुणा, प्रेम और सद्भाव का वातावरण हर जगह बनाए रखें।
उन्होंने कहा कि बिहार का नाम ही बहार से पड़ा है, यहां हर जगह बहार ही बहार है। बिहार समय के कारण पीछे रह गया था, पर इस प्रदेश के लोगों ने मेहनत की, जिससे हम आगे बढ़ रहे हैं।
तीन दिवसीय इस अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संघ समागम में 17 देशों के, जिसमें अमेरिका, इंगलैंड, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल और बांग्लादेश सहित दो सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। समागम को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कला संस्कृति मंत्री सुखदा पांडेय सहित कई अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।