निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा कि उन्हें अब भी तिब्बत जाने की उम्मीदें हैं.
वाशिंगटन के कैपिटल हिल के वेस्ट लॉन में आयोजित एक समारोह में जब 76 वर्षीय दलाई लामा से पूछा गया कि क्या उन्हें भारत में 52 साल के निर्वासन के बाद तिब्बत लौटने की उम्मीद है तो उन्होंने कहा, ‘हां, चीजें हमेशा बदल रहीं हैं.’
आयोजित समारोह में दलाई लामा को सुनने हजारों लोग इकट्ठे हुए. उन्होंने चीन से महती स्वतंत्रता की उम्मीद जताते हुए कहा,’निश्चित तौर पर मुझे लगता है कि स्वतंत्रता, लोकतंत्र, कानून व्यवस्था की आवाज आ रहीं हैं.’
अपने जन्मदिन समारोह के सिलसिले में 11 दिवसीय धार्मिक ‘कालचक्र’ कार्यक्रम में यहां आये दलाई लामा ने पिछले कुछ साल में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की ओर से राजनीतिक सुधारों के लिए किये गये आह्वान का भी जिक्र किया. दलाई लामा के संभावित आध्यात्मिक उत्तराधिकारी समझे जाने वाले 26 वर्षीय करमापा लामा भी इस मौके पर मौजूद थे.
दलाई लामा का भाषण आध्यात्मिक विषयों पर केंद्रित था और इसमें आंतरिक शांति से लेकर सफल विवाह तक की बातें उन्होंने कही. उन्होंने कहा कि सभी खुशहाल जीवन चाहते हैं और ये लक्ष्य पूरी तरह हमारी आंतरिक शांति पर निर्भर करते हैं.
दलाई लामा ने कहा, ‘अपने चेहरे को सुंदर बनाना अच्छी बात है लेकिन इस बीच आपको अपनी आंतरिक सुंदरता पर भी ध्यान देना चाहिए. भीतरी सौंदर्य से आपको अच्छा साथी मिलेगा.’ ‘आंतरिक सौंदर्य पर अधिक ध्यान दिये बिना और केवल बाहरी सुंदरता को देखकर आपको साथी तो मिलेगा लेकिन लंबे समय तक नहीं रहेगा.’
दलाई लामा ने मार्च में धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार के नेता के पद को छोड़ दिया था और केवल आध्यात्मिक नेता के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे हैं.