(नेपाल ने काठमांडू के बाहर एक शरणार्थी शिविर में तिब्बतियों को दो घंटे समारोह करने की अनुमति दी)
rfa.org / सांग्याल कुंचोक
तिब्बतियों के निर्वासित आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के ८७वें जन्मदिन के अवसर पर बुधवार को चीन ने कड़ी सुरक्षा रखी और ऑनलाइन निगरानी की।तिब्बतियों ने इस अवसर पर कड़ी धूप और पिकनिक का लुत्फ उठाया।
पिछले वर्षों में ०६ जुलाई को जन्मदिन के आसपास के हफ्तों में बड़ी संख्या में तिब्बतियों को गिरफ्तार किया जाता रहा है। इस वर्ष तिब्बत के ल्हासा और चीनी प्रांतों के तिब्बती क्षेत्रों में आबादी वाले इलाकों में कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था रखी गई है।
क्षेत्र के एक तिब्बती ने सुरक्षा कारणों से नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘चीनी अधिकारियों द्वारा परम पावन दलाई लामा के ८७वें जन्मदिन के उत्सव पर रोक के बावजूद तिब्बत के अंदर तिब्बतीया तो गुप्त रूप से या खुले तौर पर वर्षगांठ मनाने के तरीके खोज रहे हैं।‘
सूत्र ने कहा, ‘०६ जुलाई को कई तिब्बती अपने-अपने क्षेत्रों में पहाड़ियों की चोटी पर सांगसो अगरबत्ती चढ़ा रहे हैं और अन्य स्थानों पर भी तिब्बती पिकनिक मनाकर इस दिन को मना रहे हैं।‘
सूत्र ने कहा कि इस साल कड़ी सुरक्षा के बावजूद,‘तिब्बत के अंदर तिब्बती इस अवसर पर परम पावन दलाई लामा की प्रशंसा में निबंध और लेख लिखते हैं।‘ उन्होंने कहाकि लेख सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से पढ़े और प्रसारित किए जाते हैं।‘
एक अन्य सूत्र ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में चीनी अधिकारियों ने तिब्बतियों को किसी भी प्रकार की तस्वीरें प्रसारित नहीं करने की चेतावनी देने के लिए सभी को बैठकों में भाग लेने के लिए कहा और उन्हें बताया कि उनके सेलफोन में प्रतिबंधित सामग्री की जांच की जाएगी।
दूसरे सूत्र ने कहा, ‘कई जगहों पर नए चेकपॉइंट बनाए गए हैं जो सभी यात्रियों की जांच करते हैं और परिवार की गतिविधियों की जासूसी करने के लिए पुलिस इकाइयां स्थापित की गई हैं।‘
क्षेत्रीय राजधानी ल्हासा में एक सूत्र ने कहा,‘हाल के दिनों में ल्हासा के पोटाला पैलेस और त्सुलंगखांग मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या को अत्यधिक प्रतिबंधित और सीमित कर दिया गया है। बड़ी सार्वजनिक सभाओं से बचने के लिए रोज केवल एक निश्चित संख्या में आगंतुकों को अनुमति दी जाती है।‘
पिछले साल आरएफएने दलाई लामा के ८६वें जन्मदिन के समय के आसपास २०-३० तिब्बतियों की गिरफ्तारी की सूचना दी थी। लेकिन इस साल हिरासत या गिरफ्तारी की कोई बात सामने नहीं आई है।
तिब्बत की सीमा से लगे नेपाल की सरकार ने राजधानी काठमांडू के पास ६० साल पुरानी और १००० से अधिक तिब्बती घरों वाली ज्वालाखेल तिब्बती बस्ती में दलाई लामा का ८७वां जन्मदिन मनाने के लिए केवल दो घंटे के जश्न की अनुमति दी।
उत्सव में भाग लेने वाले एक स्थानीय तिब्बती ने कहा,‘कई पश्चिमी दूतावासों के गणमान्य हस्तियों की उपस्थिति में समारोह में दो घंटे से अधिक समय लग गया।‘
स्थानीय मीडिया ने बताया कि फ्रांस, यूरोपीय संघ, जापान और अमेरिका के दूतावासों के राजनयिक इस तिब्बती बस्ती में आनेवाले विदेशी मेहमानों में शामिल थे।
स्थानीय सूत्र ने कहा, ‘इस साल नेपाली सरकार ने अनुमति दी और बड़ी संख्या में तिब्बतियों ने इस समारोह को मनाया।‘
नेपाली सूत्र ने कहा, ‘नेपाली पुलिस को आयोजन स्थलों पर तैनात किया गया था, लेकिन वे सिर्फ निगरानी रख रहे थे और समारोहों को बाधित नहीं कर रहे थे। समारोह में दलाई लामा के चित्र, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के आधिकारिक भाषण, सांस्कृतिक प्रदर्शन आदि का आयोजन हुआ।‘
नेपाल ने पिछले वर्षों में दलाई लामा के प्रति सम्मान प्रकट करनेवाले ऐसे किसी भी सार्वजनिक प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका कारण यह था कि नेपाल की तत्कालीन सरकार अपने शक्तिशाली पड़ोसी चीन को खुश करने की कोशिश कर रहा था। क्योंकि चीन परम पावन जैसे लोकप्रिय नेता को अलगाववादी कहकर बदनाम करता रहता है।
दलाई लामा १९५९ में चीनी शासन के खिलाफ असफल तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह के बीच तिब्बत से निर्वासन में भारत भाग गए। चीन ने १९५० में ही स्वतंत्र हिमालयी देश तिब्बत पर कब्जा कर लिया था।
तिब्बतियों को दलाई लामा की तस्वीर रखने, उनके जन्मदिन के सार्वजनिक समारोह मनाने और मोबाइल फोन या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी शिक्षाओं को प्रसारित करने पर अक्सर कठोर दंड दिया जाता है।
चीनी अधिकारियों ने तिब्बत और पश्चिमी चीन के तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों पर अपनी कड़ी पकड़ बनाए रखी, तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित कियाऔर तिब्बतियों को बिना केस चलाए कारावास में डाला, यातनाएं दीं और उनकी न्यायेतर हत्या तक करते रहे हैं।
दलाई लामा के जन्मदिन का सम्मान करते हुए एक बयान में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने परम पावन की ‘तिब्बती समुदाय की शिकायतों को हल करने के लिए अहिंसा के लिए जारी प्रतिबद्धता’ और उनकी ‘मानवता के लिए समर्पण और सेवा’ की भावना के लिए प्रशंसा की।
ब्लिंकन ने कहा, ‘अमेरिका परम पावन और तिब्बती समुदाय के तिब्बत की विशिष्ट भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा, जिसमें उनके स्वतंत्र रूप से अपने धार्मिक गुरुओं को चुनने का अधिकार भी शामिल है।‘