तिब्बत धर्म गुरु दलाई लामा द्वारा अपने अधिकार निर्वाचित नेता को सौंपने के बाद चीन से स्वायत्तत्ता की मांग कर रहा आंदोलन खत्म नहीं होगा लेकिन कुछ कठिनाइयां अवश्य आंएगी। यह बात शुक्रवार को निर्वासित तिब्बती सरकार ने कही।
निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री रिंपोचे ने कहा कि दलाई लामा के नेतृत्व का कोई विकल्प नहीं हो सकता लेकिन तिब्बतियों को उनके बगैर राजनीतिक नेतृत्व का कोई रास्ता तलाशना होगा। दलाई लामा द्वारा राजनीतिक भूमिका छोडने के निर्णय के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, तिब्बती के लोग वहां है । लेकिन आंदोलन न तो खत्म होगा और न ही इसे झटका लगेगा। दलाई लामा के गुरुवार की घोषणा पर चीन की प्रतिक्रिया के बारे में उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया ।
रिंपोचे ने यह भी स्पष्ट किया कि दलाई लामा तिब्बत के लिए वास्तविक स्वायत्तत्ता चाहते है। उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि हम चीन से दूर जाना चाहते है, तिब्बत के लोगों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए वास्तविक स्वायत्तत्ता पर्याप्त है…हम 1974 से स्वायत्तत्ता मांग रहे है।
रिंपोचे ने आशा जताई कि तिब्बत का मुददा दलाई लामा के जीते-जागते ही सुलझ जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या दलाई लामा के राजनीतिक प्रमुख के पद से हटने के बाद , तिब्बत की निर्वासित सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और समर्थन की अपेक्षा रखती है।
उन्होंने कहा कि औऱ समर्थन की अपेक्षा रखना बहुत कठिन है क्योंकि दुनिया के विभिन्न देशों में चीन को खुश करने के लिए एक प्रतिस्पर्धा चल रही है, जो मौजूदा परिदृश्य में एक असीमित बाजार है।