जागरण, 3 अक्टूबर 2014
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बती अध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने कहा है कि महात्मा गांधी को याद करने का सबसे अच्छा तरीका अपने जीवन में शांति, अहिंसा और सादा जीवन जीने के संदेश को अपनाना होगा। अहिंसा के जरिए महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए आजादी के संघर्ष के सटीक परिणाम सामने आए थे। महात्मा गांधी के शांति और अंहिसा के सिद्धांत एक विरासत के रूप में पूरी दुनिया में प्रासंगिक है। गांधी जी के सिद्धांत और जीवन जीने की राह को अपनाकर हम अपने जीवन में शांति और संतुष्टि ला सकते हैं।
दलाईलामा वीरवार को चुगलाखंग बौद्ध मठ में नोबेल पुरस्कार मिलने की 25वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि सारी दुनिया ने महात्मा गांधी के शांति व अहिंसा के सिद्धांतों से प्रेरणा ली है। अमेरिका में नागरिक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले मार्टिन लूथर किंग भी महात्मा गांधी सिद्धांतों और जीने के रास्ते से प्रेरित थे। महात्मा गांधी जयंती पर उन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी याद किया। इस मौके पर नोबेल पुरस्कार विजेता शिरिन इबादी ने भी महात्मा गांधी के सिद्धांतों को दुनिया में शांति के लिए सबसे सार्थक बताया।
निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग्ये ने कहा कि महात्मा गांधी के सिद्धांत सही में नोबेल पुरस्कार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह सही मायनों में नोबेल पुरस्कार के हकदार थे, लेकिन आज भी दुनिया भर के लोगों के दिल और दिमाग में महात्मा गांधी एक सच्चे नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में हैं। इस मौके पर तिब्बती विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।