धर्मशालातिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के राजनीति से संन्यास के निर्णय पर प्रस्ताव सोमवार को तिब्बती निर्वासित संसद के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। इस सत्र में ही चर्चा होगी कि तिब्बती चार्टर में संशोधन किया जाए या नहीं। 10 मार्च को तिब्बत राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की 52वीं वर्षगांठ पर दलाईलामा ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर सिर्फ धर्मगुरु के रूप में काम करने की इच्छा जताई थी।
इसका संदेश 14वीं निर्वासित संसद के 14 से 25 मार्च तक चलने वाले 11वें बजट सत्र में रखा जाएगा। दलाईलामा कार्यालय सात पेजों का संदेश सोमवार सुबह तिब्बती निर्वासित संसद को भेजेगा, जिसे सदन में संसद के अध्यक्ष पेम्पा छेरिंग पढ़कर सुनाएंगे। निर्वासित तिब्बती संसद के बजट सत्र की तैयारियों एवं दलाईलामा के प्रस्ताव पर चर्चा के संबंध में रविवार को निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे, निर्वासित तिब्बत संसद के अध्यक्ष पेम्पा छेरिंग और उपाध्यक्ष डोलमा गैरी ने संसद में होने वाली चर्चाओं सहित संसदीय कार्रवाई की समीक्षा बैठक में भाग लिया। बैठक में सत्र के एजेंडे सहित दलाईलामा की ओर से अपनी राजनीतिक शक्तियां चुने हुए प्रतिनिधि को सौंपने संबंधी मामले पर भी चर्चा की गई।
दलाईलामा 14-15 मार्च को मैक्लोडगंज स्थित चुगलाखंग बौद्ध मठ में थाइलैंड से आए बौद्ध अनुयायियों को जीने की कला पर बौद्ध धर्म पर आधारित दो दिवसीय शिक्षाएं देंगे।