tibet.net, ०९ जुलाई, २०२१
ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें, चीनी अधिकारियों द्वारा तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों को निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों के साथ संवाद करने और परम पावन दलाई लामा के प्रति वफादारी के किसी भी संकेत को दिखाने से डराने के उद्देश्य से लगातार निर्मम कार्रवाई और आधारहीन उत्पीड़न किए जाने का खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, चीनी अधिकारियों ने पिछले साल ‘तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर)’ के डिंगरी (टिंगरी) काउंटी में तेंगड्रो मठ पर आक्रामक छापे के बाद चार तिब्बती भिक्षुओं को लंबी जेल की सजा सुनाई थी। छापे की कार्रवाई सितंबर २०१९ में एक सेल फोन की खोज के बाद की गई, जिस फोन को गलती से ल्हासा के एक कैफे में छोग्याल वांगपो नामक एक भिक्षु ने छोड़ दिया था। ल्हासा के अधिकारियों ने डिवाइस की जांच में इसमें कथित तौर पर ‘अवैध’ माने जाने वाले संदेश बरामद किए थे।
संदेशों से पता चलता है कि ४६ वर्षीय भिक्षु और तेंगड्रो मठ के नेता चोएग्याल वांगपो ने नेपाल में रहने वाले तिब्बतियों को २०१५ के भूकंप के बाद हुए नुकसान के मुआवजे के तौर पर मौद्रिक राहत भेजी थी। ये तिब्बती मूल रूप से डिंगरी के थे। ल्हासा पुलिस ने तुरंत चोएग्याल वांगपो को हिरासत में ले लिया, कथित तौर पर उसे पीटा और उनसे पूछताछ की।
सुरक्षा बल वांगपो को ल्हासा से हिरासत में लेने के बाद उनके पैतृक गांव ड्रैनक पहुंचे और गांव और तेंगड्रो के आसपास के मठ पर छापा मारा। छापेमारी के बाद सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में २० तिब्बतियों को विदेश में रहने वाले तिब्बतियों से संपर्क रखने, नेपाल में तिब्बतियों को भेजी गई भूकंप राहत में योगदान देने और दलाई लामा की तस्वीरें रखने के संदेह में गिरफ्तार कर लिया। बाद में चीनी अधिकारियों ने तुरंत मठ के भिक्षुओं और गांव के निवासियों के लिए दैनिक राजनीतिक शिक्षा सत्र का आयोजन किया।
पुलिस की छापेमारी के तीन दिन बाद तेंगड्रो मठ के एक भिक्षु और ड्रैनक के निवासी लोबसांग ज़ोएपा ने अपने परिवार और समुदाय के प्रति अधिकारियों के व्यवहार से क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर ली। घटना के कुछ देर बाद गांव का इंटरनेट कनेक्शन काट दिया गया।
एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार, हिरासत में लिए गए अन्य भिक्षुओं को बिना किसी मुकदमे के कई महीनों तक बंद रखा गया और इसके बाद उनसे किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल न होने का वादा लेकर रिहा कर दिया गया। लेकिन उन्हें मठ में फिर से शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई।
चोएग्याल वांगपो सहित चार भिक्षुओं पर शिगात्से इंटरमीडिएट पीपुल्स कोर्ट ने सितंबर २०२० में अज्ञात आरोपों में गुप्त रूप से मुकदमा चलाया और उन्हें असाधारण रूप से कठोर सजा दी गई। चोएग्याल वांगपो को २० साल की सजा सुनाई गई थी; ४३ वर्षीय लोबसांग जिनपा को १९ वर्ष; पुलिस की पिटाई से गंभीर रूप से घायल हुए ६४ वर्षीय नोरबू डोंड्रब को १७ साल की सजा और ३६ वर्षीय नगावांग येशे को ०५ साल जेल की सजा सुनाई गई।
एचआरडब्ल्यू ने कहा, ‘टेंगड्रो मामले में उपलब्ध जानकारी साफ तौर पर बताती है कि प्रतिवादियों ने किसी भी महत्वपूर्ण आपराधिक गतिविधि, यहां तक कि चीनी कानून के तहत भी परिभाषित किसी आपराधिक गतिविधि में भाग नहीं लिया था।’
अधिकार समूह ने कहा कि तिब्बत में रहने वाले तिब्बती हमेशा राजनीतिक रूप से संवेदनशील टिप्पणी करने से बचते हैं। वे नियमित रूप से फोन या टेक्स्ट संदेश द्वारा अन्य देशों के लोगों के साथ संवाद करते हैं, जो वर्तमान में किसी भी चीनी कानून के तहत अवैध नहीं है। इस मामले में विदेश में धन भेजने का भी आरोप लगा। यह कृत्य भी चीनी कानून के तहत तब तक अवैध नहीं है, जब तक इसमें धोखाधड़ी, अवैध संगठन के साथ संपर्क, अलगाववाद को प्रोत्साहित करने या जासूसी जैसे विशिष्ट अपराध का पुट शामिल नहीं हो। इस मामले में तो इनमें से कोई भी ऐसा कर्म प्रतीत नहीं होता है।