काठमांडू, 19 दिसम्बर (आईएएनएस)। विकिलीक्स द्वारा लीक किए गए अमेरिकी दूतावास के एक संदेश में कहा गया है कि 2008 से तिब्बती शरणार्थियों के भारत पलायन में आश्चर्यजनक रूप से इसलिए कमी आई है, क्योंकि चीन सीमावर्ती इलाकों से शरणार्थियों को पकड़ने के लिए नेपाली पुलिस को धन मुहैया करा रहा है।नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में एक अनाम राजनीतिक अधिकारी द्वारा इस वर्ष 22 फरवरी को भेजा गया संदेश दो व्यक्तियों के बीच हुई बातचीत पर आधारित है। इन दोनों व्यक्तियों के नाम का भी खुलासा नहीं किया गया है।”अपडेट ऑन तिब्बतन रिफ्यूजी फ्लो” शीर्षक वाले गोपनीय संदेश में कहा गया है कि हर वर्ष तिब्बत से औसतन 2,500 से 3,500 शरणार्थी उत्तर भारत में स्थित धर्मशाला पहुंचते हैं। यहीं पर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की निर्वासित सरकार का मुख्यालय है।उनमें से आधे तिब्बती दलाई लामा का दर्शन करने के बाद वापस तिब्बत लौट जाते हैं।सूत्रों ने कहा है कि 1980 से नवम्बर 2009 तक धर्मशाला स्वागत केंद्र द्वारा 87,096 शरणार्थियों को तिब्बती शरणार्थी घोषित किया गया था और 46,620 तिब्बती भारत में संक्षिप्त प्रवास के बाद वापस तिब्बत लौट गए थे।भारत में रुकने वाले अधिकांश तिब्बती बच्चे होते हैं, जो तिब्बती चिल्ड्रेन्स विलेजेज द्वारा संचालित स्कूलों में दाखिला लेते हैं, क्योंकि चीन सरकार इन बच्चों को चीन नियंत्रित तिब्बत में तिब्बती पद्धति से शिक्षा लेने की अनुमति नहीं देती।दोनों सूत्रों ने अमेरिकी दूतावास के राजनीतिक अधिकारी को बताया था कि मार्च 2008 में तिब्बत में हुए विद्रोह के बाद शरणार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। अप्रैल 2008 से मार्च 2009 के बीच केवल 650 शरणार्थी ही हर वर्ष स्वागत केंद्र में आ रहे थे।एक सूत्र ने आशंका जताई थी कि बीजिंग ने नेपाल से कहा है कि वह नेपाली सीमा बलों की चौकसी बढ़ा दे और नेपाल में तिब्बतियों का प्रवेश मुश्किल कर दे।सूत्र ने अमेरिकी अधिकारी से यह आशंका नई दिल्ली में एक मुलाकात के दौरान व्यक्त की थी। संदेश के अनुसार सूत्र ने कहा था, “चीन सरकार उन नेपाली अधिकारियों को वित्तीय लाभ मुहैया कराती है, जो चीन से बाहर जाने की कोशिश करने वाले तिब्बतियों को पकड़ कर उन्हें सौंप देते हैं।”
‘तिब्ब्ती शरणार्थियों को पकड़ने के लिए नेपाल को धन दे रहा है चीन’
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