धर्मशाला । तिब्बत की निर्वासित सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जब तक भारत औऱ चीन , तिब्बत के मामले का निपटारा नही करते , दोनों देशों के बीच सीमा विवाद नहीं सुलझ सकता । चीन के प्रधानमांत्री की भारत यात्रा पर सीमा विवाद का मुद्दा उठा है । भारत औऱ चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद के केंद्र में तिब्बत का मामला है । पहले इसके स्थायी निदान के बारे में विचार किया जाना चाहिए ।
यह बयान वीरवार को केद्रीय तिब्बत प्रशासन की ओर से जारी किया गया ।
बयान जारी करते हुए तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमांत्री समधोंग रिनपोछे ने बताया कि भारत- चीन के बीच सीमा है ही नहीं। दोनों देशों के बीच तिब्बत है और उसके अस्तित्व को स्वीकारने के लिए भारत और चीन में इच्छाशाक्ति की जरुरत है ।
उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर में चीन द्वारा बनाई जा रही सुरंग और नेपाल सीमा के नजदीक बिछाई जा रही रेलवे लाइन को भारतीय उपमहाद्वीप के लिए खतरा बताया ।
भारत ने नहीं उठाया तिब्बत का मुद्दा
चीन के प्रधानमांत्री के साथ वीरवार को भारतीय प्रधानमांत्री की बातचीत और उसके बाद जारी साझा बयान से तिब्बत का मुद्दा नदारद रहा। इस पर सफाई देते हुए विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा कि 2005 की वार्ता में ही हमने स्पष्ट कर दिया था कि भारत , तिब्बत की स्वायत्तता का पक्षधर है । इसके अलावा चीन को भारत का वादा है कि वह अपनी धरती का उपयोग चीन विरोधी गतिविधि के लिए नही होने देगा । भारत के इस पक्ष से चीन वाकिफ है ।