२० सितंबर, २०२२
बर्न। आज २० सितंबर कोतिब्बत पर गठित स्विस संसदीय समूह ने चीनी अधिकृत तिब्बत में संस्कृति-आधारित हिंसा और दमन के साथ-साथ तिब्बतियों के खिलाफ किए जा रहे अंतरराष्ट्रीय दमन पर गवाही सुनी।
‘व्हिस्पर्स फ्रॉम द लैंड ऑफ़ स्नोज़: कल्चर-बेस्ड वायलेंस इन तिब्बत’ की लेखिका फैनी इओना मोरेल और ‘तिब्बत ब्यूरो जिनेवा’ की प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने तिब्बत में तिब्बतियों पर चल रहे दमन के साथ-साथ निर्वासित तिब्बतियों के खिलाफ चीन के अंतरराष्ट्रीय दमन का विस्तृत विवरण दिया।
तिब्बत स्विस संसदीय समूह के सह-अध्यक्ष माननीय निकोलस वाल्डर और निक गुगर, और माननीय सदस्य प्रिस्का बिरर-हेमो, लॉरेंस फेहलमैन रिएल, क्लाउडिया फ्रिडल और मार्टिना मुंज बैठक में स्विस-तिब्बती मैत्री संघ के अध्यक्ष थॉमस बुचली और उपाध्यक्ष ल्हावांग नोगोरखांगसर के साथ उपस्थित थे।
तिब्बत का दौरा कर चुकीं सुश्री मोरेलने कहा, ‘मैं ल्हासा का एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करना चाहती हूं। वहां केवल तिब्बतियों पर ही नजर नहीं रखी जा रही है। कई मौकों परबिना किसी विवेक के, बिना किसी सोच-समझ केव्यक्तिगत रूप से पुलिस अधिकारियों द्वारा मेरा पीछा किया गया है, जो मेरी हर गतिविधियों को लेकर बहुत चौकस थे। मैं चीनी और सैन्य पुलिस बलों की धमकी के बारे में भी बहुत चिंतित थी। ल्हासा मेंजोखांग मंदिर और उसका कोरा इस तरह की धमकी का एक अच्छा उदाहरण है। बंद गलियों और सुरक्षित सड़कों पर अनगिनत निगरानी कैमरों के अलावापुलिस और सैन्य बलों की भारी तैनाती है। सशस्त्र, लड़ाकू सैनिक चारों ओर पास-पड़ोस कीसड़कों पर और छतों पर लड़ने के मूड में तैनात रहते हैं और नियमित रूप से तीर्थयात्रियों के बीच गश्त करते हैं। अग्निशामक यंत्र और धातु के स्नेयर पोल चारो ओर लगे हुए हैं।‘
अपनी गवाही के दौरानउन्होंने आगे कहा कि,‘तिब्बत में नरसंहार के कृत्यों को ठी उसी तरह माना जाना चाहिए, जैसा कि १९६० में तिब्बत मुद्दे की जांच के लिए कानूनी समिति द्वारा घोषित किया गया था। तिब्बतियों की सुरक्षा के लिए वही स्थिति नाटकीय रूप से अब भी जारी हैं। और वहां शांतिस्थापित होने की उम्मीद दिन-ब-दिन कम होती जा रही है।‘
चीनी सरकार द्वारा तिब्बती धर्म और संस्कृति के उत्पीड़न के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ‘यह कहकर कि, तिब्बती आध्यात्मिक नेता के पुनर्जन्म का निर्धारण चीन का आंतरिक मामला है, सीसीपी एक बार फिर इस तथ्य की अनदेखी कर रही है कि दलाई लामा एक प्रख्यात आध्यात्मिक व्यक्ति हैं। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है और दुनिया भर के लोगों को तिब्बत और तिब्बती होने की अपनी सीमाओं से परे जाकर प्रेरित करते हैं। उनका उत्तराधिकार तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए केंद्रीय महत्व का विषय है, जो कई देशों में प्रचलित है। यदि सीसीपी आगे बढ़ती है और अपने स्वयं के कानूनों, नियमों और हितों के आधार पर तिब्बतियों पर १५वें दलाई लामा को थोपती हैतो यह तिब्बत में संघर्ष को और बढ़ा देगा और तिब्बतियों को और संकट में डाल देगा।‘
सुश्री मोरेल की गवाही का समर्थन करते हुएप्रतिनिधि थिनले ने तिब्बत की वर्तमान स्थिति पर वर्तमान कशाग का ब्रीफिंग पेपर साझा किया और नोट किया कि तिब्बती चीनी दमनकारी नीतियों से पीड़ित हैं। गुलामी पर विशेष प्रतिवेदक की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से पूर्वी तुर्केस्तान (चीनी: झिंझियांग) और तिब्बत के बीच एक समानांतर रेखा खींचती है और कहती है कि झिंझियांग के समान जबरन श्रम शिविरों की व्यवस्था तिब्बत में की जा रही है और इसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। मानवता के खिलाफ अपराधों की स्वतंत्र जांच की जा रही है। इसलिए समय आ गया है कि स्विस संसद सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के आह्वान में शामिल हों कि चीन में विशेष रूप से तिब्बत, पूर्वी तुर्केस्तान और हांगकांग में मानवाधिकारों की स्थिति पर एक स्वतंत्र जांच की जाए।
संसद सदस्यों ने तिब्बत की स्थिति के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि वे स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने तिब्बत और तिब्बतियों के लिए अपने निरंतर समर्थन और एकजुटता जारी रखने का आश्वासन दिया।