धर्मशाला। तिब्बत निर्वासित संसद ने दलाईलामा के राजनीतिक संन्यास के फैसले को नकारते हुए उनसे राजनीतिक मुखिया बने रहने का आग्रह किया है। वहीं निर्वासित मंत्रिमंडल ने दलाईलामा की ओर से ये राजनीतिक शक्तियां चुने हुए प्रतिनिधि को सौंपने के निर्णय को स्वीकार कर लिया। दलाईलामा ने 10 मार्च को कहा था, ‘मैंने हमेशा कहा है कि तिब्बतियों को एक ऐसा नेता चाहिए जिसे लोगों ने स्वतंत्र तरीके से चुना हो, जिसे मैं अपनी जिम्मेदारियां सौंप सकूं।’
तिब्बती निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिम्पोछे ने कहा कि निर्वासित मंत्रिमंडल हमेशा दलाईलामा की इच्छाओं औरआदेशों को स्वीकार करती रही है। यह निर्णय जिसमें दलाईलामा ने राजनीतिक मुखिया के पद से सेवानिवृत्ति की इच्छा जताई है। उसे सात सदस्यीय मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया है। तिब्बत निर्वासित संसद के चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए इस निर्णय को स्वीकार करना कठिन है। तिब्बती समुदाय भी दलाईलामा के सेवानिवृत्ति के निर्णय को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। ऐसे में उनकी ओर से निर्वाचित सांसदों का भी एक ही मत है कि दलाईलामा को राजनीतिक मुखिया के पद पर बने रहकर तिब्बती समुदाय का मार्गदर्शन करते रहना चाहिए।
संसद सत्र के प्रथम सत्र में प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे ने अवगत कराया कि निर्वासित मंत्रिमंडल ने दलाईलामा के राजनीतिक पद की जिम्मेदारियों से त्यागपत्र देने के निर्णय को स्वीकार किया है। सात सदस्यीय मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से दलाईलामा के निर्णय पर सहमति जताई है।
..फिर आज दोफाड़ क्यों
संसद में उस समय सन्नाटा छा गया, जब महिला सांसद जेंछेन कुंचोक ने भावुक हो कहा, आज तक दलाईलामा ने तिब्बती समाज को जो कहा उसे अक्षरश: स्वीकारा गया, लेकिन आज वैसा नहीं हुआ। भिन्न मत रखने वाली महिला सांसद ने यह कहकर वक्तव्य समाप्त किया कि वह भी अन्य की ओर से रखे गए विचारों से सहमत हैं। इसके अतिरिक्त दो ने भी भिन्न मत रखे।
..तो बदलाव जरूरी है
संसद सदस्य दावा छेरिंग ने बताया कि यदि दलाईलामा आने वाले समय के लिए तिब्बती राजनीति में कुछ बदलाव की जरूरत महसूस करते हैं, तो हम सभी को बदलाव लाने के बारे में सोचने की आवश्यकता है। यदि दलाईलामा सेवानिवृत्ति लेते हैं तो लोगांे में निराशा फैल जाएगी। ऐसे में सभी चाहते हैं कि इस निर्णय को स्वीकार न किया जाए। बुधवार को वार्षिक बजट पेश होगा।