आज से 62 साल पहले आज ही के दिन ल्हासा में हजारों तिब्बती कम्युनिस्ट चीन के शासन के विरोध में उठ खड़े हुए थे। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन उन सभी शहीदों के साहस और भावना को सलाम करता है और उनका सम्मान करता है। हमें यह भी याद है कि तिब्बत में तिब्बती लोग अत्याचार के चंगुल में फंसे हुए हैं। हमारी प्रार्थनाएं और विचार उनके साथ हैं और हम उनके साथ एकजुट खड़े हैं।
ल्हासा में 10 मार्च 1959 को चीनी सेना मुख्यालय में एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत परम पावन 14वें दलाई लामा को आमंत्रित किया गया था। घटना से एक दिन पहले परम पावन को पहरेदारों के घेरे में रहकर इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कहा गया था। जब यह जानकारी लोगों तक पहुंची तो परम पावन की रक्षा के लिए हजारों तिब्बतियों ने नोरबुलिंगका महल के चारों ओर मानव शृंखला बना ली। इसके सात दिन बाद चीनी सेना के एक शिविर से दागे गए दो मोर्टार के गोले महल के उत्तरी गेट के बाहर गिरे और इसके बाद परम पावन को उसी रात महल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। 20 मार्च के शुरुआती घंटों में तिब्बती लोगों पर मोर्टार और बंदूकों से आग के गोले बरसने लगे। इसके बाद के दिनों में हजारों तिब्बती लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। इन कृत्यों से यह स्पष्ट हो गया कि 1949 से ही तिब्बत पर आक्रमण कर रहा चीन वास्तव में औपनिवेशिक उत्पीड़क था और उसने केवल ‘मुक्तिदाता’ का चोला भर पहन रखा था।
चीनी शासन के तहत पिछले छह दशकों में एक लाख से अधिक तिब्बतियों ने अपनी जान गंवाई है। आज हम इस नुकसान पर सामूहिक रूप से शोक प्रकट करने के लिए यहां पर एकत्र हुए हैं। इसके साथ ही हम यहां तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों की निर्बाध और मुक्त जीवन की कामना भी करते हैं। वे वहां अपनी जान की परवाह न करते हुए और प्राणों पर खेलकर अपनी भाषा, अपना धर्म, अपनी भूमि और अपनी पहचान की रक्षा और संरक्षण कर रहे हैं और चीनी शासन का विरोध जारी रखे हुए हैं।
इस साल 19 जनवरी को कारजे प्रिफेक्चर के डीज़ा वोनपो मठ के 19 वर्षीय भिक्षु तेनज़िन न्यिमा की गंभीर चोटों की वजह से जेल में मौत हो गई। उसे क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया था। उसका अपराध सिर्फ इतना भर था कि उसने शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन में भाग लिया था। हम मदद नहीं कर सकते हैं लेकिन अन्य युवा भिक्षुओं और आम तिब्बतियों की किस्मत के बारे में सोच सकते हैं जो नवंबर 2019 में हुए उसी विरोध- प्रदर्शन में शामिल थे और जिन्हें हिरासत में भी लिया गया था और जेल में बंद किया गया था।
तेनजिन न्यिमा की मौत के एक महीने बाद एक अन्य तिब्बती राजनीतिक कैदी कुंचोक जिंपा की मौत भी चोटों की वजह से जेल में ही हो गई। 51 वर्षीय टूर गाइड जिंपा द्रिरु काउंटी में चगत्से टाउनशिप के निवासी थे। स्थानीय पर्यावरण और अपने क्षेत्र में अन्य विरोध-प्रदर्शनों की खबरों को विदेशी समाचार पत्र-पत्रिकाओं को भेजने की कथित भूमिका के लिए उन्हें 2013 से जेल में रखा गया है। इस मामले में वह 21 साल की सजा काट रहे हैं। तेनजिन न्यिमा और कुंचोक जिनपा की दुखद कहानियां तिब्बत की भीषण वास्तविकता को समझने में मदद करती हैं।
पिछले साल अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अमेरिकी कांग्रेस के चीन मामलों के कार्यकारी आयोग (यूएससीईसीसी) ने चीन में मानव अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की बदतर स्थिति की सूचना दी थी। इसने चीन सरकार द्वारा तिब्बती अस्मिता का चीनीकरण करने के साथ ही बड़ी संख्या में तिब्बतियों की मनमानी गिरफ्तारियों पर चिंता व्यक्त की। वास्तव में चीन सरकार के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ रिलिजियस अफेयर ने पिछले महीने ‘धार्मिक व्यक्तियों के लिए प्रशासनिक उपाय’ शीर्षक से एक आदेश जारी किया, जिसका उद्देश्य धार्मिक सभा, शिक्षाओं और धार्मिक गतिविधियों पर नए सिरे से सख्ती लागू करना है। मई 2021 से लागू होने वाले नए आदेश का उद्देश्य कथित ‘विदेशी प्रभाव’ को मिटाना बताया गया है।
चीनी सरकार की उदासीनता, उपेक्षा और उसके द्वारा तिब्बती लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का अहम उदाहरण 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्की न्यिमा की कहानी में मिलता है। इसी मई में इस घटना के घटित हुए 26 वर्ष हो जाएंगे। 26 वर्ष पूर्व मई 1996 में ही गेधुन चोएक्यी न्यिमा, उनके परिवार और ताशी लूनपो मठ के पूर्व मठाधीश चाडेल रिनपोछे का अपहरण कर लिया गया था।
वर्षों से संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति और जबरन या अनैच्छिक अपहरण के खिलाफ काम करनेवाली संस्थाएं, अंतरराष्ट्रीय संगठन, कई देशों की संसद, सरकारों के कार्यसमूह और दुनिया भर के तिब्बत समर्थक समूहों ने 11वें पंचेन लामा के बारे में जानकारी देने और उनकी रिहाई की मांग करते हुए रिपोर्ट और प्रस्ताव पारित किए हैं। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा 2020 में दुनिया भर में तिब्बत कार्यालयों के माध्यम से एक महीने का वैश्विक अभियान चलाया गया था। हम 11वें पंचेन लामा की रिहाई के लिए दृढ़तापूर्वक खड़े हैं।
दुनिया भर के संयुक्त प्रयासों के बावजूद चीन छह साल के बच्चे के अपहरण और उनके लापता करने की बात से इनकार करते हुए झूठ पर झूठ बोले जा रहा है। यदि पंचेन लामा के अपहरण और उनको नुकसान पहुंचाने से इनकार को लेकर चीनी सरकार के बयान में जरा भी सच्चाई है, तो उसे 11वें पंचेन लामा की हालिया प्रामाणिक फोटो और वीडियो के साथ उनके परिवार और चाडेल रिनपोछे के बारे में सबूत देना चाहिए।
तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन में तेजी लाते हुए तिब्बत में सेंसरशिप और निगरानी अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई है। 24 दिसंबर 2020 को तथाकथित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के अधिकारियों ने उन व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की घोषणा की, जो ऑनलाइन संचार साधनों का उपयोग ‘देश को विभाजित करने’ और ‘राष्ट्रीय एकता को कमजोर’ करने के लिए करते हैं। यह कदम सरकार को उत्पीड़न बढ़ाने में मदद करेगा।
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि 2020 की फ्रीडम हाउस रिपोर्ट में चीन को इंटरनेट स्वतंत्रता को बुरी तरह से बाधित करनेवाले देश के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसी तरह, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा संकलित 2020 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में चीन सबसे निचले यानी 177वें स्थान पर है। हर साल यह सूचकांक 180 देशों और क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकारों की कार्य स्थिति का मूल्यांकन करता है।
पिछले साल दिसंबर में माचिन गोलोग प्रिफेक्चर के 30 वर्षीय तिब्बती खानाबदोश ल्हुंदुप दोरजी को माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘वीबो’ पर परम पावन के प्रवचन का वीडियो पोस्ट करने के लिए एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी।
डिजिटल लौह किलेबंदी के अंदर बंद तिब्बत से जानकारी बाहर निकालना असंभव है। हमें दिरु शगूचा गांव के 26 वर्षीय शूरमो द्वारा आत्मदाह की खबर इस घटना के पांच साल बाद पिछले साल जनवरी में मिली। यह तिब्बत में किए जा रहे सूचना नियंत्रण और निगरानी की कठोरता पर प्रकाश डालता है।
शूरमो उन 155 तिब्बतियों में से एक थे, जिन्होंने 2009 से आत्मदाह किया है। 133 तिब्बतियों ने विरोध-प्रदर्शन के बाद दम तोड़ दिया है। तिब्बत में चीनी शासन की बर्बरता ने तिब्बत के अंदर रहनेवाले तिब्बतियों को तिब्बती पहचान, धर्म और संस्कृति को खतरे में डालने वाली नीतियों और प्रथाओं के खिलाफ अपने आक्रोश को आवाज देने के लिए इस तरह के चरम उपाय अपनाने को मजबूर किया है। यहां तक कि जब वे आग की लपटों में घिर जाते थे, तब भी तिब्बती लोगों की आजादी और परम पावन दलाई लामा की सम्मानजनक तिब्बत वापसी के पक्ष में ही नारे लगा रहे थे। तिब्बत की वास्तविकता 2021 की फ्रीडम हाउस की वार्षिक रिपोर्ट में परिलक्षित होती है, जो सीरिया के बाद दुनिया में सबसे कम मुक्त क्षेत्र के रूप में तिब्बत को सूचीबद्ध करती है।
आज चीन के कदम अपने आर्थिक प्रवाह का उपयोग करके तिब्बत से आगे बढ़ चुके हैं जो वैश्विक लोकतंत्र को खतरे में डालने वाले हैं। फ्रीडम हाउस के अनुसार, चीन दुनिया में सबसे अधिक परिष्कृत, वैश्विक और अंतरराष्ट्रीय दमन चक्र चलाता है। यह रिपोर्ट चीनी नागरिकों, राजनीतिक असंतुष्टों और तिब्बतियों, उग्यूरों और हांगकांगर जैसे अल्पसंख्यक समुदायों को नियंत्रित करने और उनका दमन करने के सीसीपी के हद से बाहर जाकर प्रयासों पर प्रकाश डालता है। वैश्विक लोकतंत्र पर इस तरह के हमलों को विफल करने के लिए दुनिया भर के लोकतंत्रों को एकजुट होना चाहिए।
27 दिसंबर 2020 को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने तिब्बतन पॉलिसी एंड सपोर्ट ऐक्ट- 2020 (टीपीएसए) पर हस्ताक्षर किए। टीपीएसए तिब्बत के लिए अमेरिकी नीति और समर्थन को काफी मजबूती प्रदान करता है। यह दृढ़ता से कहता है कि दलाई लामा और अन्य तिब्बती बौद्ध लामाओं के पुनर्जन्म धार्मिक मामले हैं और पुनर्जन्म से संबंधित सभी निर्णय दलाई लामा, तिब्बती लोगों और तिब्बती बौद्ध समुदाय की जिम्मेदारी है। आगे यह कानून इस मामले में हस्तक्षेप करने वाले किसी भी चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों की चेतावनी देता है। विधेयक केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की वैधता को स्वीकार करता है और तिब्बत के पर्यावरण और उसके पठारों के महत्व को अधिकृत करता है।
हम अमेरिका की सरकार, कांग्रेस और सीनेट और विशेष रूप से विधेयक के प्रायोजकों और सह-प्रायोजकों को धन्यवाद देते हैं। हम सभी संगठनों और व्यक्तियों को भी धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने विधेयक को शीघ्र पारित कराने में भरपूर समर्थन किया है। तिब्बत मुद्दों के लिए अमेरिकी विशेष समन्वयक की शीघ्र नियुक्ति के आश्वासन के लिए हम अमेरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन के आभारी हैं। हम अमेरिकी विशेष समन्वयक की शीघ्र नियुक्ति के लिए बिडेन प्रशासन से भी आग्रह करते हैं। इसके साथ ही हम प्रमुख कानूनों, जैसे कि रेसिप्रोकोल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट- 2018 और टीपीएसए- 2020 के आगे कार्यान्वयन के लिए बिडेन प्रशासन से आग्रह करते हैं।
अमेरिकी सीईसीसी ने अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिकी प्रशासन से सिफारिश की है कि वह चीनी सरकार से ‘दलाई लामा को सुरक्षा के लिए खतरा मानने’ की नीति का त्याग करने और परम पावन के दूतों के साथ बातचीत को बिना पूर्व शर्त के फिर से शुरू करने का अनुरोध करे। मेरा प्रशासन तिब्बत के सभी लोगों के लिए वास्तविक स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्ध है।
हम तिब्बत में रह रहे अपने भाइयों और बहनों के साथ एकजुट खड़े हैं, खासकर राजनीतिक कैदियों के साथ जो अमानवीय व्यवहार और चीनी जेलों में पीड़ित होने के बावजूद अत्याचार सह रहे हैं। हम पांच साल की सजा के बाद तिब्बती भाषा कार्यकर्ता ताशी वांगचुक की रिहाई की हालिया खबर का स्वागत करते हैं। हम 11वें पंचेन लामा सहित सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के लिए चीनी सरकार से अनुरोध करते हैं।
जैसा कि हम केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग और 17वीं निर्वासित तिब्बत संसद के लिए अंतिम दौर के चुनावों में पहुंच गए हैं, हम विशेष रूप से सोशल मीडिया पर जिम्मेदार अभिव्यक्ति की अपेक्षा करते हैं। हम अपने महान नेता द्वारा हमें दिए गए लोकतंत्र के लाभों का आनंद लेना चाहते हैं, और हमें इस अधिकार का जिम्मेदारी से उपयोग करना चाहिए। हमें तिब्बत में अपने लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को याद रखना और उनका सम्मान करना चाहिए। हम निर्वासन में अपने लोकतंत्र को मजबूत करके और स्वतंत्रता और न्याय के लिए अपने मुद्दों को मजबूत करके यह काम कर सकते हैं। परम पावन को हम नमन करते हैं, जिनके अथक प्रयासों से तिब्बत के लिए वैश्विक समर्थन प्राप्त हुआ है और निर्वासित तिब्बती प्रशासन और समुदाय की स्थापना हुई है।
मेरे प्रशासन ने हमारे मुद्दों को आगे बढ़ाने और तिब्बत में तिब्बतियों की आवाज़ को दुनिया तक पहुंचाने का काम किया है। साथ ही हमने निर्वासित तिब्बती लोगों के कल्याण के लिए किए गए अपने प्रयासों को निर्देशित किया है। यह एक सम्मान की बात है और हम आपके समर्थन के लिए आप सभी का धन्यवाद करते हैं। आजादी के लिए हमारा निरंतर संघर्ष दुनिया भर के हमारे दोस्तों के समर्थन के बिना संभव नहीं होता। काशाग तिब्बत के भीतर और बाहर के तिब्बतियों की ओर से विशेष रूप से भारत सरकार और भारत के लोगों को उनकी निरंतर उदारता और समर्थन के लिए धन्यवाद देता है। हम नेताओं, सरकारों, संसदों, संगठनों और व्यक्तियों को धन्यवाद देते हैं जो न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए खड़े हैं और जो तिब्बत के न्यायोचित मांग का समर्थन करते हैं।
अंत में हम परम पावन महान 14वें दलाई लामा के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं। हम उस दिन के जल्द से जल्द आगमन के लिए प्रार्थना करते हैं, जब शांति और स्वतंत्रता की किरण हिमभूमि पर चमकेगी।
बोध ग्यालो।
राष्ट्रपति
10 मार्च, 2021
नोट : यह तिब्बती बयान का हिन्दी अनुवाद है। किसी भी तरह की भाषाई उलझन होने पर मूल तिब्बती बयान को अंतिम और अधिकृत माना जाएगा।
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