नागपुर । तिब्बत स्वंत्रता की लडाई के 52 वें वर्ष पर पूरे विश्व में धरने आंदोलन किए गए। जिसके अंतर्गत नागपुर के लोकमत चौक से एक शांति मोर्चा का आयोजन किया गया। मोर्च का नेतृत्व रिजनल तिबेटियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष लामा ने किया। मोर्चा जिलाधिकारी कार्यालय ले जाया गया जहां पर ेक सभा का भी आयोजन किया गया। 10 मार्च 1959 को परम पावन दलाई लामा अमर रहे, चीन तिब्बत छोड के जाओ एंव तिब्बत एक स्वंतत्र देश है जैसे नारे लगाए गए एंव विश्व के कोने -कोने में ये नारे गंजे थे और वहां के नागरिकों ने तिब्बत को पुन स्वंत्रता दिलाने का संकल्प लिया था । तिब्बत ये तिब्बतियों का राष्ट्र है और रहेगा। आज इस संघर्ष को 52 साल हो गए हे । आज भी तिब्बतियों की उक्त तीनों घोषनाएं जस की तस कायम है और तिब्बतियों ने उन्हें पुनरजीवित कर रखा है। इसलिए तिब्बति पूरे विश्व के सामने चीन को ये बता देना चाहते है कि भविष्य में उनकी ये तीनों घोषनाएं आजादी मिलने तक कायम रहेंगी । 2008 में हमारा संकल्प और बढा है तथा हमारे युवाओं में तिब्बत के आजादी की लडाई को अधिक बल मिला है । यहां जारी एख विज्ञप्ति में रिजनल तिबेटियन यूथ कांग्रेस के सचिव तेन्झीन पसांग ने बताया कि तिब्बती नागरिकों ने 2008 को अगली लडाई एक भाग के रुप में शीतकाल के समय प्रदर्शन किया था बदले उन्हें स्ट्राइहार्ड मुहिम अंतर्गत गलत आरोपों में वहा के नागरिकों मृत्युदंड ,फांसी और आजीवन कारावस की सजा सुनाई थी । इसे चीन ने बंदीवान दिवस के रुप में मनाया था। तिबेतियन यूथ कांग्रेस चीन के इस अन्यायकारक नीति का निषेध करते है। जिलाधिकारी कार्यालय में ली गई सभा में आचार्य फुत्सोक , सांसद , तिब्बती निर्वासित सरकार , बाना लोबसंग तेम्बा, लद्दाखी गायक अरविंद निकोसे आदि ने संबोधित किया । इस अवसर का जिलाधिकारी से मिलकर राष्ट्रपित , प्रधानमंत्री, विदेशमंत्री ,रक्षामंत्री , चीन के राजदूत को निवेदन दिए गए। शांति मोर्चा में जयकुमार रामटेके , संदेश ठवरे, किशोर बागडे, जयंत बनसोड , कुंचोक वोसर , भूपतेन लोखंडे , मीरा सरदार , दीपज्योति वालदे , इंदू मेश्राम , नीलू बोरकर श्रीमती डोलकरलामो, फुन्सोग सोनम , पंसाग नोरग्याल , हेमराज टेंभुणे आदि उपस्थित थे।
तिब्बती स्वतंत्रता की लडाई के 52 वें वर्ष पर शांति मोर्चा।
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