Indiaone Samachar, 5 मार्च 2016
भोपाल। 29 फरवरी को उत्तर भारत, देहरादुन के नजदीक हरब्रतपुर में 16 वर्षीय दोरजे सेरिंग की शहादत विश्व समुदाय को तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए खड़े होने का संदेश देता है। यह बात भारत-तिब्बत सहयोग मंच तथा द कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया के पश्चिम क्षेत्र संयोजक डॉ. शिवेन्द्र प्रसाद ने शुक्रवार की शाम आयोजित एक चर्चा के दौरान कही।
डॉ. शिवेन्द्र प्रसाद ने कहा कि शहीद किशोर केे जलने के बाद दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में उपचार कराया जा रहा था, लेकिन तिब्बती किशोर ने तिब्बत की स्वतंत्रता का संदेश विश्व समुदाय को देकर 3 मार्च की शाम को सफदरजंग अस्पताल में अंतिम सांसे ली। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए परम पावन दलाईलामा के प्रतिनिधि टेम्पा सेरिंग तथा केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन इस शहीद से अस्पताल में अविलंब मिलने पहुंचे थे। शहीद मसूरी स्थित तिब्बतन होम्स फाउंडेशन का दसवीं कक्षा का छात्र था।
डॉ. प्रसाद ने बताया कि तिब्बत की स्वतंत्रता को लेकर पूर्व में भी 143 भिक्षु-भिक्षुणी आत्मदाह कर चुके हैं। तिब्बत में लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है अतः संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व के सभी लोकतांत्रिक देशों को तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए एक स्वर में आवाज उठानी चाहिए। लगातार चीन अपने तानाशाही नीति के तहत तिब्बत का दमन कर रहा है और निर्दोष तिब्बती मारे जा रहे हैं।
डॉ. प्रसाद का कहना है कि भारत तिब्बत सहयोग मंच परिवार चीनी तानाशाही की निंदा करता है तथा ईश्वर से प्रार्थना करता है कि 16 वर्षीय दोरजे सेरिंग की आत्मा को भगवान शांति प्रदान करें।