दैनिक जागरण, १८ नवम्बर, 2012
कार्यालय संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बती मुद्दे का हल न निकल पाने के पीछे चीन सरकार का 60 वर्ष पुराना शासन रहा है। इस समय के नेताओं ने ऐसी नीतियां नहीं बनाई, जिससे यह मुद्दा किसी हल तक न पहुंच सके। मैक्लोडगंज में आयोजित स्पेशल इंटरनेशनल तिब्बत सपोर्ट ग्रुप की बैठक में सदस्यों ने यह विचार रखे। रविवार को बैठक के समापन मौके पर ग्रुप ने यह सुझाव रखा कि दबाव बनाकर ही ऐसा संभव हो सकता है। ग्रुप के 20 चीन सदस्यों सहित 200 सदस्यों ने कहा कि तिब्बत में आत्मदाह की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। तिब्बत के धर्म, सांस्कृति व भाषा को अहिंसात्मक रूप से बचाना जरूरी है, क्योंकि तिब्बत का अपना अस्तित्व है।
बैठक में कहा गया कि चीन सरकार के छह दशक की सत्ता में ऐसे प्रयास ही नहीं हुए कि तिब्बती मुद्दे को सकारात्मक रूप से सुलझाया जाता। इसलिए अब चीन के वर्तमान नेताओं का दायित्व है कि वह अपनी जिम्मेदारी को समझें और इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालें। वहीं बैठक में चीन सरकार पर दबाव बनाने पर बल दिया गया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका को अहम माना गया। कहा गया कि चीन पर दबाव बनाकर ही उसकी नीतियों में परिवर्तन लाया जा सकता है। इस मौके पर ग्रुप ने निर्वासित तिब्बत सरकार और समुदाय को आश्वस्त किया कि वह एकजुट होकर कार्य करेंगे, जिससे इन प्रयासों को अमलीजामा पहनाया जा सके।