tibet.net, 31 जनवरी 2013
नर्इ दिल्ली, 31 जनवरी। ‘तिब्बती जनता के एकजुटता अभियान’ के दूसरे दिन की शुरुआत राजघाट पर गुरुवार को सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक चलने वाली सर्व धर्म प्रार्थना से हुर्इ। इस प्रार्थना सभा का नेतृत्व बौद्ध, र्इसार्इ, इस्लाम, जैन, हिंदू, सिख, बहार्इ और यहूदी धर्म के विभिन्न धार्मिक प्रतिनिधियों ने किया। कीर्ति मठ के प्रमुख परम प्रतिष्ठित कीर्ति रिनपोछे ने 700 से ज्यादा तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं के साथ इस प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया। गौरतलब है कि तिब्बत के कीर्ति मठ में ही सबसे ज्यादा आत्मदाह की 30 से ज्यादा घटनाएं हुर्इ हैं। इस प्रार्थना सभा में 7,000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया।
दोपहर 12.30 बजे तिब्बती राजनीतिक नेता सिक्योंग और निर्वासित तिब्बती संसद (टीपीआर्इर्इ) के अध्यक्ष, विभिन्न कालोन्स (मंत्रियों), टीपीआर्इर्इ सदस्यों और आम जनता के साथ एक रैली में हिस्सा लिया। रैली में शामिल लोगो ने हाथ में तख्तियां लिए और नारे लगाते हुए समता स्थल से जंतर मंतर तक कूच किया। इन तख्तियों और नारों के माध्यम से भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह आग्रह किया गया कि ‘वे तिब्बत में संकट को खत्म करने के लिए तत्काल राजनयिक कार्रवार्इ करें।’
इसके बाद दोपहर 2 बजे से अपरान्ह 4.30 बजे तक इस भारी भीड़ ने जंतर-मंतर पर धरना दिया। टीपीआर्इर्इ सदस्य आचार्य येशी फुंसोक ने हिंदी में सभा का शुरुआती भाषण देते हुए दिल्ली में चार दिन तक आयोजित ‘तिब्बती जनता के एकजुटता अभियान’ के बारे में एक संक्षिप्त विवरण दिया और तिब्बती आंदोलन में भारतीय समर्थकों और नेताओं की भूमिका पर एक दृष्टि डाली।
इस सार्वजनिक सभा में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी। सिख धर्म से गुरुद्वारा कृष्णा मार्केट के संजय सिंह, बौद्ध धर्म से भारतीय महाबोधि सोसाइटी के भंते सुमित आनंद, सूफी संप्रदाय से दरगाह निजामुद्धीन के फरीद अहमद निजामी, र्इसार्इ धर्म से सैक्रेड हार्ट कैथेड्रल आर्कबिशप हाउस के फादर डामिनिक और मुसिलम धर्म से भारतीय केंद्रीय हज कमेटी के पूर्व अध्यक्ष तनवीर अहमद सहर इस जनसभा में प्रतिनिधित्व किया।
मुसिलम राष्ट्रीय मंच के प्रतिनिधि के तौर पर अंजुमन परजंदनी हिंद के संस्थापक गिरीश जुयाल और जमायद उलेमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सोएब कासमी ने भी सभा को संबोधित किया। दिन भर चले इस कार्यक्रम का संचालन टीपीआर्इर्इ के अध्यक्ष श्री पेनपा सेरिंग ने किया। कार्यक्रम का समापन अपरान्ह 4.30 बजे जनता के नारों और तिब्बतन इंस्टीटयूट आफ परफार्मिंग आटर्स (टीआर्इपीए) के कलाकारों के नेतृत्व में हुर्इ ‘सच के शब्दों की प्रार्थना’ के साथ हुआ।
दोपहर 3 बजे जामिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के अंसारा आडिटोरियम में आम जनता के लिए गवांग छोफेल की फिल्म ‘तिब्बत इन सांग’ का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान परमपावन दलार्इ लामा के दिल्ली के प्रतिनिधि श्री तेम्पा सेरिंग ने लोगों को संबोधित किया और फिल्म प्रदर्शन के बाद आयोजित एक प्रश्नोत्तर सत्र में लोगों के सवालों के जवाब दिए।
दोपहर 2 बजे से अपरान्ह 5 बजे तक इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘तिब्बत: मौजूदा स्थिति और भारत एवं चीन पर पर इसके निहितार्थ’ विषय पर एक सामूहिक चर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा के प्रमुख वक्ताओं में सिक्योंग डा. लोबसांग सांगे, प.प्र. कीर्ति रिनपोछे, भारत के पूर्व विदेश सचिव ललित मानसिंह और पूर्व कैबिनेट अतिरिक्त सचिव जयदेव रानाडे शामिल थे। चर्चा का संचालन टीपीआर्इर्इ सदस्य श्री कर्मा छोफेल ने किया।