tibet.net
धर्मशाला। ऐसे समय में जब चीन के कब्जे वाले तिब्बत में लोकतंत्र एक दूर का सपना है, दसियों हजार निर्वासित तिब्बतियों को लोकतंत्र का महापर्व मनाते हुए अपने अगले सिक्योंग और निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों को निर्वाचित करने के लिए अंतिम चुनाव में रविवार को मतदान करते हुए देखा गया।
इस अवसर पर आज सुबह निर्वासित तिब्बती सरकार के मुख्यालय गंगचेन क्येशांग में एक मतदान पर वोट डालने के बाद निवर्तमान सिक्योंग डॉ. लोबसांग सांगेय ने कहा कि ‘निर्वासित तिब्बती लोकतंत्र तिब्बत के अंदर हमारे भाई-बहनों की आकाक्षांओं वातस्तविक प्रतिनिधित्व करता है।’ 11 अप्रैल को 26 देशों में बिखरे हुए लगभग 83,000 तिब्बती शरणार्थियों ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग और 17वीं निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों का चुनाव करने के लिए अपना वोट देना शुरू किया, जिसे दुनिया में सबसे अलग लोकतांत्रिक अभ्यास माना जा सकता है।
सांगये ने कहा, ‘इसके द्वारा, हम बीजिंग को सीधे संदेश भेज रहे हैं कि जब उनके पास लोकतंत्र नहीं है और न ही वे तिब्बत में तिब्बतियों को स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। वैसे में, परम पावन दलाई लामा के महान नेतृत्व में हम निर्वासित तिब्बतियों को लोकतंत्र का उपहार दिया गया है।’
डॉ. सांगेय ने कहा, ‘दुनिया भर के तिब्बतियों के लिए आज गर्व का दिन है।’सिक्योंग के पद के लिए दो अंतिम प्रतियोगी- पेन्पा त्सेरिंग और केलसांग दोरजी औकातत्संग हैं, जिनमें से एक मई के अंत में दो बार सिक्योंग रह चुके डॉ. सांगेय से केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की बागडोर संभालेंगे।
45 सीटों वाले निर्वासित तिब्बती संसद के लिए 93 उम्मीदवार मैदान में हैं, जो तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों, तिब्बती बौद्ध धर्म और बॉन धर्म के चार स्कूलों और उत्तरी अमेरिका, यूरोप और आस्ट्रेलेशिया के तिब्बती समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2021 का आम चुनाव 2011 में परम पावन दलाई लामा द्वारा राजनीतिक अधिकार को पूर्ण रूप से हस्तांतरित किए जाने के बाद से तिब्बती नेतृत्व का तीसरा प्रत्यक्ष चुनाव है।पिछले साल 27 दिसंबर को अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित होकर कानून बन चुके तिब्बतन पॉलिसी एंड सपोर्ट ऐक्ट- 2020 में परम पावन दलाई लामा की इस बात के लिए सराहना की गई है कि उन्होंने ‘तिब्बती राजनीति के भीतर लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया है और निर्वासित तिब्बती लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों का त्याग किया।’ इस कानून में अपने नेताओं को चुनने के लिए लोकतांत्रिक संस्थानों के साथ स्वशासन की प्रणाली को अपनाने के लिए दुनिया भर में तिब्बती निर्वासित समुदायों की सराहना की गई है।
निर्वासित तिब्बती लोकतंत्र की यह सफलता की कहानी परम पावन दलाई लामा की निर्विवाद रूप से निर्वासित समुदाय को अपनी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए और एक भावी, मुक्त तिब्बत के लिए लोकतांत्रिक नींव रखने के प्रति उन्हें एक श्रद्धांजलि है।