धर्मशाला।जबरन गायब कर दिए गए पीड़ितों के ४०वें अंतरराष्ट्रीयदिवस के अवसर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग(डीआईआईआर)उन सभी तिब्बतियों को याद करता है जिन्हें तिब्बत के अंदर गायब होने के लिए मजबूर किया गया है और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) से जोरदार आग्रह करता है कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।
किसी भी व्यक्ति का जबरन गायब होना मानवता के खिलाफ एक अपराध है।चाहे वह अल्पकालिक या दीर्घकालिक हो। साथ ही इसमें जीवन का अधिकार, यातना से मुक्त होने का अधिकार, मनमानी हिरासत से मुक्त होने का अधिकार, कानून के समक्ष मान्यता का अधिकार और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित अधिकारों की सीमाओं का उल्लंघन भी शामिल है।
प्रोटेक्ट ऑल पर्संस फ्रॉम इंफोर्स्ड डिसैपिएरेंस (सभी व्यक्तियों को जबरन गायब होने से बचाने के लिए)परअंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पहले अनुच्छेद में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था यह निर्धारित करता है कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति को जबरन गायब नहीं किया जाएगा। और न ही इसे उचित ठहराया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर सदस्यों में से एक चीन को चार्टर के तहत अपने कर्तव्यों को पूरा करने में संयुक्त राष्ट्र को सभी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है। इसमें संबंधित उपकरणों और सम्मेलनों के अनुसार कार्य करना भी शामिल है, भले ही उन्होंने उन पर हस्ताक्षर किए हों और उनकी पुष्टि की हो।
तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद तिब्बतियों को अक्सर लंबे समय तक के लिए हिरासत में रखा गया है। साथ ही गिरफ्तार किए गए लोगों की कुशलता और उनके ठिकाने के बारे में उनके परिवार और रिश्तेदारों को कोई जानकारी नहीं दी गई है। इससे गंभीर चिंता पैदा हो रही है। इसके अलावा, हिरासत में रहने के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों को अक्सर गंभीर रूप से प्रताड़ित किया जाता है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं पैदा होती हैं और अंततः खराब स्वास्थ्य स्थितियों के कारण कैदी की मृत्यु हो जाती है।
दुनिया में सबसे उल्लेखनीय जबरन गायब किए जाने के मामलों में से एक तिब्बत के ११वें पंचेन लामा जेछुन तेनजिन गेधुन येशी ट्रिनले फंटसोक पाल सांगपो का है। इनका अपहरण उस समय कर लिया गया था,जब वह केवल छह साल के थे। चीनी अधिकारियों ने उन्हें और उनके परिवार को तब से लोगों की आंखों से ओझल कर रखा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा पीआरसी से उनकी रिहाई की बार-बार कीअपील और मांग के बावजूद२८ साल बाद भी पंचेन लामा की कुशलता, उनके ठिकाने के बारे में संदेह है। वह जीवित भी हैं या नहीं, इस बारे में भीअभी कोई जानकारी नहीं है।
पीआरसी की जबरन गायब करने के तरीके का दोहरा असर होता है। इसमें तिब्बती पीड़ितों के दिमाग और शरीर के साथ-साथ उनके परिवारों और रिश्तेदारों में भी आतंक पैदा किया जाता है और साथ ही गैर कानूनी गिरफ्तारी और हिरासत को उचित ठहराने के लिए कैदियों को यातनाएं देकर उनसे जबरन बयान दिलवाया जाता है।अवैध रूप से गिरफ्तार किए गए अधिकांश तिब्बतियों- लामा, मठवासी, समुदाय के नेता, लेखक और कवि, बुद्धिजीवी, गायक, खानाबदोश और छात्र – को कथित ‘अपराधों’की सुनवाई के लिए चीनी अदालतों में लाए जाने से पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा महीनों तक गायब रखाजाता है।
डीआईआईआर ने १० अगस्त को संयुक्त राष्ट्र के तीन स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा पीआरसी सरकार से नौ तिब्बती पर्यावरण मानवाधिकार कार्यकर्ताओंके बारे में विश्वसनीय जानकारी प्रदान करने के लिए किए गए आह्वान की पुष्टि कीऔर उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई थी। इन कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था और लंबी जेल की सजा सुनाई गई थी।
जहां तक चीनी आपराधिक प्रक्रिया कानून में जबरन गायब होने के बारे में प्रावधान है, इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य ऐसे प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों से बदलना अनिवार्य है, जो ‘खतरनाक सरकारी सुरक्षा’ और ‘आतंकवाद’ के संदिग्धों के लिए हैं। इसके साथ ही गायब किए गए तिब्बती राजनीतिक कैदियों को चीन द्वारा तुरंत रिहा किया जाना चाहिए और उनके परिवारों को उनके ठिकाने और कारावास की शर्तों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।