जेनेवा। चेक गणराज्य की सीनेट ने तिब्बती बच्चों को जबरन आत्मसात करने और तिब्बत में चीन द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता में लगातार हस्तक्षेप पर अपनी ‘गहरी चिंता’ व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। यह प्रस्ताव ३० मई २०२३ को सीनेट की शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति, मानवाधिकार और याचिकाओं संबंधी समिति द्वारा स्वीकृत किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के निष्कर्षों पर आधारित प्रस्ताव में तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से सुनियोजित तरीके से अलग करने और अनिवार्य औपनिवेशिक आवासीय विद्यालयों को लेकर ‘गहरी चिंता’ की अनुगूंज सुनाई पड़ती है। पारित संकल्प में चीन को जबरन आवासीय विद्यालयों की अनिवार्यता को खत्म करने और तिब्बती बच्चों को तिब्बती भाषा में शिक्षित करने की अनुमति देने और तिब्बती संस्कृति और परंपराओं से उन्हें जुड़ने देने की अनुमति देने का आह्वान किया गया है।
संकल्प ने परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म सहित पुनर्जन्म की सदियों पुरानी तिब्बती बौद्ध रिवाजों में दखल देने वाली चीनी सरकार की नीति脣यों पर अपनी कड़ी आपत्ति जताई है। इसके अलावा, समिति ने घोषणा की कि पुनर्जन्म की पारंपरिक तिब्बती बौद्ध धार्मिक प्रथा पर चीनी सरकार का प्रभाव और हस्तक्षेप तिब्बती लोगों की धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता का ‘गंभीर’ उल्लंघन माना जाएगा।
सीनेट समिति द्वारा व्यक्त की गई उपरोक्त चिंताओं के मद्देनजर चेक गणराज्य की सरकार से चीन के साथ अपने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संपर्कों में तिब्बत में बिगड़ती स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करने और चीन से आवासीय विद्यालयों को ‘तुरंत बंद’ करने का आह्वान करने की सिफारिश की गई है। इसमें कहा गया है कि चीन को तिब्बत और धार्मिक प्रमुखों के पुनर्जन्म की तिब्बती बौद्ध धार्मिक परंपरा का सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा, सीनेट समिति ने समिति के अध्यक्ष को अपनाए गए प्रस्ताव को सीनेट के अध्यक्ष, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री और चेक गणराज्य के विदेश मामलों के मंत्री को प्रेषित करने का आग्रह किया गया है।
तिब्बत ब्यूरो-जिनेवा के प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने सीनेटरों के साथ अपनी पिछली बैठक के दौरान चर्चा में उठाए गए मुद्दों को लेकर संकल्प पारित करने के लिए समिति, विशेष रूप से समिति के उपाध्यक्ष और तिब्बत के लिए चेक सीनेट संसदीय समूह के अध्यक्ष माननीय प्रेमिसल रबास को धन्यवाद दिया। संकल्प में फिर से चेक गणराज्य की मजबूत एकजुटता और तिब्बती लोगों की प्रतिज्ञा के समर्थन का आश्वासन दिया गया है। प्रतिनिधि थिनले ने टिप्पणी की, ‘हमें आशा है कि यह संकल्प इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर चेक संसद में ठोस संसदीय प्रस्तावों को आगे बढ़ाएगा।‘