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एक तिब्बती काउंटी में चीनी अधिकारियों का कहना है कि तिब्बती स्कूली बच्चों के माता-पिता अब माला, प्रार्थना- चक्र या अन्य धार्मिक वस्तुओं को स्कूल के मैदान में नहीं ले जा सकते हैं, क्योंकि चीन तिब्बतियों की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान को खत्म करने वाली नीतियों को लागू करता ही जा रहा है। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र नागचु (नाकू) प्रान्त में सोग (चीनी: सूओ) काउंटी में रहने वाले एक तिब्बती ने आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया कि परिवार के सदस्यों को अब अपने बच्चों के स्कूलों में जाने पर मंत्र या अन्य प्रार्थनाओं का पाठ करने की मनाही है।
आरएफए के सूत्र ने कहा, अप्रैल से शुरू होने वाले स्कूल सत्र के लिए ब्लैकबोर्ड पर लिखे गए नए नियम छात्रों और उनके परिवारों को याद दिलाते हैं कि ‘स्कूल कम्युनिस्ट विद्वानों को पैदा करने और उन्हें आगे बढ़ाने की जगह हैं और इसका उपयोग अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।’
आरएफए के सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘सोग काउंटी के सभी जूनियर और मिडिल स्कूलों में अब प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं और छात्रों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि उनके माता-पिता या अभिभावक को यह बता दिया जाना चाहिए कि नियमों का पालन किया जाना चाहिए।’
सूत्र ने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों और सरकारी कर्मचारियों सहित सेवानिवृत्त श्रमिकों को पहले से ही धार्मिक रिवाजों के पालन के खुले प्रदर्शन से मना किया गया है। लेकिन अब छात्रों के माता-पिता के व्यवहार पर लगाए गए ये नए प्रतिबंध उनके अधिकारों का सरासर उल्लंघन और तिब्बती धर्म और संस्कृति का अपमान हैं।
सूत्र ने कहा कि ‘चूंकि चीन इस वर्ष (23 जुलाई) चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कमर कस रहा है, अधिकारी तिब्बती काउंटी, कस्बों, मठों और स्कूलों में पार्टी की विचारधारा को फैलाने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘इन सभी स्थानों को सीसीपी के प्रति अपनी वफादारी सुनिश्चित करने के बारे में वापस रिपोर्ट करने के लिए कहा जा रहा है।’
भाषा अधिकार पर लटकती तलवार
सूत्रों का कहना है कि तिब्बती स्कूलों में तिब्बती भाषा के इस्तेमाल पर पहले से ही प्रतिबंध है और मंदारिन में शिक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। इस बीच तिब्बती बच्चे अपनी भाषा का प्रवाह खोते जा रहे हैं।
हाल के वर्षों में तिब्बती राष्ट्रीय पहचान का दावा करने के मामले में भाषा अधिकार विशेष केंद्रबिंदु बन गया है। मठों और कस्बों में अनौपचारिक रूप से चलाए जा रहे भाषा पाठ्यक्रमों को अवैध घोषित किया गया है। इस भाषा को पढ़ाने वाले शिक्षकों को हिरासत में ले लिया जाता है या उनकी गिरफ्तारी हो जाती है।
पूर्व में स्वतंत्र राष्ट्र रहे तिब्बत पर 70 साल पहले आक्रमण किया गया था और बल प्रयोग द्वारा इसे चीन में शामिल कर लिया गया था।
चीनी अधिकारियों ने तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करते हुए उनका उत्पीड़न, यातना, कारावास और न्यायेतर हत्याएं जारी रखी है औरइस क्षेत्र पर अपनी कड़ी पकड़ बनाए रखी है।
आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए ल्हुबूम द्वारा रिपोर्ट तैयार। तेनज़िन डिकी द्वारा अनूदित। रिचर्ड फिनी द्वारा अंग्रेजी में लिखित।