धर्मशाला। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बत के अंदर दमनकारी नीतियों को सख्ती से लागू करना जारी रखे हुए है। वह तिब्बतियों के अधिकारों और स्वतंत्रता का लगातार उल्लंघन करती है और उनके साथ विषमतामूलक व्यवहार करती है।
तिब्बत के अंदर के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, यह कहा जाता है कि स्नातक स्तर की शिक्षा पाए बहुत कम चुनिंदा तिब्बती छात्र तथाकथित ‘तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र’ में शीर्ष प्रशासनिक पदों पर आसीन हैं। जबकि बाकी मुख्य रूप से चीनी अधिकारियों के अधीन काम करने को मजबूर हैं। तिब्बतियों के लिए नौकरी के घटते अवसरों के कारण शिगात्से जैसे क्षेत्रों में १८ से ऊपर के अधिकांश तिब्बती स्नातक पीएलए में भर्ती होने को मजबूर हैं। इसके अलावा, युवा तिब्बती छात्रों के ब्रेनवॉश करने के प्रयास में स्कूलों में शिक्षा को राजनीतिक प्रचार के साथ प्रतिस्थापित किया जाता है, जो परम पावन दलाई लामा के खिलाफ बार-बार आरोप लगाते हैं कि वह अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
इसी तरह कार्देज़ प्रान्त के पल्युल काउंटी की वार्षिक रिपोर्ट में तिब्बती बौद्ध धर्म के चीनीकरण के लिए प्राधिकारों द्वारा कानून का अनुपालन करते हुए धार्मिक मामलों की निगरानी में वृद्धि कर दी गई है। रिपोर्ट में आगे मठों से ४६५१ भिक्षुओं और भिक्षुणियों के निष्कासन और पूर्वी तिब्बत के खाम में सबसे बड़े तिब्बती बौद्ध संस्थानों में से एक यारचेन गार मठ में ४१२० भिक्षु आवासों के विध्वंस के बारे में उल्लेख किया गया है।