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दुनिया के जेहन में 2020 का साल कुख्यात वर्ष के रूप में दर्ज हो गया है। इससे पहले जिस तरह वर्ष 1918 इन्फ्लूएंजा महामारी के लिए , वर्ष 2003 सार्स महामारी के लिए कुख्यात हो चुका है उसकी तरह यह साल कोविड-19 या अपरनाम नोवेल कोरोना वायरस के लिए कुख्यात हो गया है। यह नोवेल कोरस वायरस इतनी तेजी से दुनिया भर में फैल गया कि सारी अर्थव्यवस्थाएं और सरकारें अपंग साबित हो गईं। इस महामारी से जहां 206 देशों में 8,27, 419 संक्रमित मामलों की पुष्टि हुई हैं, वहीं डब्ल्यूएचओ के अनुमान के मुताबिक इनमें से 40,777 लोगों की मौतें हुई हैं। दुनिया भर के साथ ही यह महामारी इटली, स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका बुरी तरह से कहर बरपा रही है। विभिन्न देश इस महामारी से संघर्ष में अनेक प्रकार की रणनीतियां अपना रहे हैं जिनमें पूर्ण लॉकडाउन, सार्वजनिक आवागमन पर प्रतिबंध, अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को सील करना आदि प्रमुख हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऐसे उपायों को लागू करने में विशेष रूप से आक्रामक रही है। एक ऐसा प्रयास जो फलदायक तो बनाया गया है, लेकिन वहां मामलों और मौतों की संख्या की वैधता पर संदेह पैदा किया है और राज्य के अत्यधिक वर्चस्व ने भी दुनिया भर की आलोचनाओं को आमंत्रित किया है। हालाँकि, इन उपायों का विश्लेषण न केवल कोविड- 19 के प्रसार को रोकने के दायरे में करके पूरे राज्य द्वारा निगरानी के लगभग सार्वजनिक स्वीकृत उपयोग की पृष्ठभूमि में किया जाना चाहिए जो केवल एक अस्थायी अपवाद की बजाये पूरे सामाजिक और संस्थागत ढांचे में स्थायी रूप से स्थापित हो जानेवाला है।
मिशेल फाउकाल्ट ने राज्य सत्ता और नागरिकों के बीच समझौते विषयक अपने ग्रंथ में दावा किया है कि सरकारों की शक्ति का मौलिक उपयोग अपने नागरिकों पर श्शासनश् करने के लिए होता हैं और साथ में नागरिकों की पसंद और क्रियाकलापों को दिशा देने में भी यह शक्ति काम करती हैं और सभी प्रकार की सहकारिता या सर्वसम्मति के निर्माण के तरीके इसी उद्देश्य के भीतर हैं। तब से दुनिया में मूलभूत परिवर्तन हुए हैं। इसके साथ ही डिजिटल माध्यमों और उपकरणों के आने के साथ राज्य द्वारा किए जानेवाले नियंत्रण में वृद्धि हुई है और लोगों के जीवन में राज्य की घुसपैठ के साथ-साथ सामाजिक विनियम भी कठोर हुए हैं। चीन इस घटना में सबसे आगे रहा है, उसने अपनी नस्लीय आबादी पर और साथ ही हान बहुल क्षेत्रों में और तिब्बत और पूर्वी तुर्किस्तान ध् झिंझियांग के नस्लीय अल्पसंख्यक समुदायों पर अपने नियंत्रण को और कठोर और तीव्र किया है।
चीन का राज्य पर नियंत्रण करने के उसके प्रतिगामी निगरानी नेटवर्क, जैसे कि ग्रेट फायरवॉल, निगरानी ग्रिड, आदि के माध्यम से मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चर्चा जारी है। सीसीपी द्वारा अपनी 1.5 अरब की आबादी पर कठोर नियंत्रण जारी रखने के मामले में कोई राहत न होने पर कई देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और व्यक्तियों ने चिंता व्यक्त की है। वर्तमान समय में चिंता का विषय यह है कि जब वैश्विक समुदाय कोविड- 19 महामारी से उत्पन्न दहशत भरे माहौल में डूबा हुआ है, चीन की सुदृढ़ निगरानी ग्रिड को अब भी वायरल की रोकथाम के सकारात्मक प्रकाश में देखा गया है, जैसा कि चीन की नीतियों के कारण ही डब्ल्यूएचओ के बढ़ते विवाद में देखा गया है, चीन ने अपनी आबादी की गोपनीयता के साथ-साथ अपने जातीय अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता के अधिकारों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर बहुत कम ध्यान दिया है।
मानवाधिकार निगरानी संस्था में चीन की शोधकर्ता माया वांग ने टिप्पणी की, ष्कोरोना वायरस का प्रकोप चीन में बड़े पैमाने पर निगरानी के प्रसार के इतिहास में प्रमुख मील का पत्थर साबित हो रहा है।ष् जनवरी के बाद से चीनी सरकार ने अपने निगरानी नेटवर्क का विस्तार किया। न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में एक एआई फर्म को कई शहरों में तेज बुख्रार वाले लोगों के साथ ही जो लोग फेस मास्क नहीं पहनते हैं, की पहचान करने के लिए तैनात किया गया है। मेगी के नाम से जाने जानेवाले एक अन्य कंपनी ने बीजिंग में एक ऐसा ही उत्पाद उतारा है, जो कंपनी के अनुसार, ष्एआई- तापमान की पहचान और उसका समाधान करने में सक्षम है और जो शरीर में इसका पता लगाने, चेहरे का पता लगाने और अवरक्त कैमरों और दृश्य प्रकाश के माध्यम से दोहरी संवेदना को एकीकृत करता है।ष् इसी तरह, 7 मार्च को हनवांग टेक्नोलॉजी लिमिटेड ने अपने सॉफ्टवेयर को पूरा करने की घोषणा की, जो तेज बुखार वाले लोगों को पहचान सकता है, व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान का आंकड़े जुटा सकता है।
राज्य और निजी क्षेत्र के बीच इस साठगांठ के कारण जो सबसे शातिर घुसपैठ सॉफ्टवेयर की खोज की गई है, वह है- अलीपे हेल्थ कोड। यह चीन की सरकारी समाचार मीडिया द्वारा गढ़ा गया एक कूटशब्द है, जो विशालकाय तकनीकी संस्था अलीबाबा के सहयोग से शुरू किया गया उद्यम है। इसके तहत लोगों को एक स्वास्थ्य कोड सौंपा गया हैय हरा, पीले या लाल रंग में और सरकारी व्यवस्था को पूरे देश से समेटा जा रहा है। कानून अधिकारियों और व्यक्ति के आंकड़ों के बीच संबंध स्पष्ट नहीं है, लेकिन चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, कानून प्रवर्तन अधिकारी इस तंत्र के विकास में एक महत्वपूर्ण भागीदार रहे हैं। रिपोर्टों से पता चलता है कि लोगों की गतिविधयों की सूचना उनके फोन के माध्यम से स्थानीय अधिकारियों को भेजा या साझा किया जा रहा है। चीन के कई हिस्सों में संक्रमण मुक्त होने का हरा संकेत प्राप्त किए बिना यात्रा करना असंभव हो गया है।
बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि निगरानी तंत्र बनाने की इस होड़ में मोबाइल नेटवर्क भी चरमरा गए हैं। चीन सरकार के स्वामित्व वाले दो टेल्को ऑपरेटर- चाइना यूनिकॉम और चाइना टेलीकॉम- लोगों को अपनी आईडी या पासपोर्ट नंबर के अंतिम कुछ अंकों को डालने के लिए कह रहे हैं, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के ठिकाने को ट्रैक करने के लिए किया जाएगा। सरकारी मीडिया चैनल ग्लोबल टाइम्स ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया, जिसमें इस उद्यम में सहायता के लिए ड्रोन के सर्वोत्तम उपयोग पर प्रकाश डाला गया है कि इसने लोगों पर नजर रखी और उन्हें अपने मास्क पहनने के लिए कहा।
माया वांग ने सीएनबीसी को दिए साक्षात्कार में इस बात को नेाट किया कि कोविड- 19 के प्रकोप के बाद निगरानी सेटअप को चीनी नागरिकों के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों का समर्थन प्राप्त हुआ है। हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि महामारी नियंत्रित हो जाने के बाद भी इन उपायों को स्थायी किया जा सकता है।
पार्टी ने तेजी से सामाजिक नियंत्रण के लिए अति प्राथमिकता के तौर में एक व्यंजना श्स्थिरता बनाए रखनेश् का उपाय किया है और असंतुष्टों की निगरानी के लिए, विरोध प्रदर्शनों को तोड़ने के लिए, इंटरनेट को सेंसर करने के लिए और बड़े पैमाने पर निगरानी प्रणालियों को विकसित करने और उसे लागू करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को भारी संसाधनों से लैस किया है। माया वांग ने हाल के एक शोध पत्र में लिखा है, मुझे लगता है कि ऐसे संकेत हैं कि कोरोना वायरस का प्रकोप ऊपर की इन घटनाओं की तरह, एक उत्प्रेरक के रूप में काम करता है और बड़े पैमाने पर निगरानी प्रणालियों में चीन की गति को बढ़ावा देता है। एक बार जब ये व्यवस्था लागू हो जाएंगी तो इस पूरे प्रकरण में शामिल लोग- विशेष रूप से पैसा बनाने वाली कंपनियां- अपने विस्तार या उनके व्यापक उपयोग के लिए इसका उपयोग करने पर जोर देंगी। यह एक ऐसी घटना है, जिसे श्मिशन रेंगनाश् कहा जाता है। शुरू में इसे अपराध पर नकेल कसने के लिए एक प्रणाली के रूप में शुरू किया गया था- जो चीन में राजनीतिक अपराधों पर लागू किया गया जिसके बारे में पहले से ही संदेह है और जो अपना औचित्य साबित नहीं कर पा रहा है। इसी का उपयोग अब अन्य उद्देश्य- यानी कोरोना वायरस प्रकोप से लड़ने के लिए किया जा रहा है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज के वरिष्ठ सलाहकार निगेल इंकस्टर ने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी वायरस के प्रकोप को अपने निगरानी उपकरणों को तेज करने के अवसर के रूप में उपयोग करने के लिए ष्सामाजिक नियंत्रण और सोच के तरीके के प्रबंधन के लिए मौजूदा तकनीकों पर दोहरी मारष् करेगी। ष्हमारे लिए यह पैथोलॉजिकल लर्निंग की तरह प्रतीत होगा, लेकिन सत्ता को बनाए रखने और सबके ऊपर शासन करने के लिए यह सबसे तार्किक तंत्र बनेगा। एक बार सब स्थिर हो जाने के बाद, समीक्षा की जाएगी और समायोजन किया जाएगा। मुझे नहीं लगता कि उनके पास वर्तमान में मौजूद क्षमता से अधिक क्षमताओं की आवश्यकता होगी, लेकिन वे उन्हें और अधिक सटीक करना चाहेंगे और अधिक से अधिक शासन तंत्र के एकीकरण की दिशा में काम करेंगे।ष्
इन तकनीकों में से कई में उपयोगकर्ताओं को अपना नाम, राष्ट्रीय पहचान संख्या और फोन नंबर डालकर पंजीकरण कराने की आवश्यकता होती है। अधिकारियों ने फोन कंपनियों, स्वास्थ्य और परिवहन एजेंसियों और राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों से डेटा-विवरण भी ग्रहण किया है। हालांकि अधिकारियों द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में डेटा के संग्रहण में पारदर्शिता का अभाव है और सवाल यह पैदा होता है कि इसका उपयोग किस तरह से किया जाएगा। इसमें मूल उपभोक्ताओं की निजता के उल्लंघन और राज्य के घुसपैठ की आशंका बनी हुई है। विभिन्न कारणों से परेशान करने वाले कई ऐसे उदाहरण रहे हैं, मुख्य रूप से कोविड-19 के समाप्त होने के बाद भविष्य में ऐसी तकनीकों और एकत्र किए गए निजी विवरणों का उपयोग राज्य के द्वारा विरोधियों और उससे असहमति रखनेवालों को तंग करने और सूचना के मुक्त प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। पिछले साल हांगकांग में विरोध प्रदर्शनों को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था और यह सफलता इस कारण से मिली क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने मास्क लगा रखा था और पुलिस द्वारा इनकी पहचान नहीं की जा सकी थी। मेग्यी हैंगवांग टेक्नोलॉजी लिमिटेड की फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी भविष्य के सभी विरोध प्रदर्शनों में सुरक्षा के नाम पर लागू की जाएगी जो प्रदर्शनकारियों की पहचान को मास्क के बाद भी उजागर कर देगी। इससे सत्तावादी राज्य की ऐसे विरोधी समूहों पर पकड़ मजबूत होगी। चीन में रहने वाले लोगों और विशेष रूप से जातीय अल्पसंख्यकों के लिए अलीपे हेल्थ कोड के निहितार्थ चिंता का विषय हैं, क्योंकि राज्य अधिकारियों द्वारा प्रतिकूल माने जाने वाले किसी भी व्यक्ति और आंदोलनों का प्रभावी ढंग से निगरानी, पहचान और दमन करने में सक्षम हो जाएगा। उग्यूर और तिब्बती आबादी इस तरह की दमनकारी नीतियों से पहले से ही पीड़ित है। वहां के मामलों में प्रौद्योगिकी केवल इस स्थिति को तेज करने का काम करेगी। क्योंकि उन इलाकों में पहले से ही सशस्त्र अधिकारियों द्वारा सुरक्षा के नाम पर बड़े पैमाने पर आबादी की निगरानी की जा रही है और इसका कोई अंत नजर नहीं आता है।
सीसीपी ने अपने नियंत्रण में रखे गए लोगों की सुरक्षा के नाम पर अपने निगरानी ग्रिड के रखरखाव और सुधार में अरबों डॉलर का निवेश किया है। मानवाधिकार निगरानी संस्था ने हाल ही में तिब्बत को दुनिया के दूसरे सबसे कम आजाद क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध किया है। उग्यूर आबादी बड़े पैमाने पर प्रतिबंधों, बड़ी संख्या में सशस्त्र सेना की उपस्थिति और उनके निजी दैनंदिन जीवन में राज्य की घुसपैठ से अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। कोविड- 19 की स्थिति सीसीपी के लिए एक वरदान और शाप दोनों रही है, लेकिन राज्य के लिए इसके वरदान साबित होने की आशंका अधिक है, क्योंकि समाज में निगरानी तकनीकों के विकास और इसके आक्रामक उपयोग को इस कोविड संकट के कारण अंतरराष्ट्रीय और सार्वजनिक स्वीकृति मिल गई है। हालांकि, राज्य द्वारा अपने नागरिकों पर प्रतिगामी नीतियां लादकर प्रभुत्ववादी शिकंजा कसने के एवज में ऐसी घटनाओं के दूरगामी परिणामों का विश्लेषण अभी किया जाना बाकी है।
’तेनजिंग वांगडक तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट में विजिटिंग फेलो हैं। वे टीएसपी के पूर्व फेलो हैं और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। उनके द्वारा यहां व्यक्त किए गए उनके विचार तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट का प्रतिनिधित्व नहीं करते हें।