जागरण, 11 दिसंबर 2013
मुख्य संवाददाता, धर्मशाला : निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग्ये ने कहा है कि चीन मानव अधिकारों के सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह चीन पर दवाब बनाए कि उसे मानवाधिकारों के सिद्धांतों को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़े।
सांग्ये तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा को मिले नोबल पुरस्कार की 24वीं वर्षगांठ पर मुख्य बौद्ध मंदिर मैक्लोडगंज में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि दलाईलामा के मध्यमार्गीय प्रयास के तहत अब मुख्य मांग तिब्बत को विशुद्ध स्वायत्तता दिलाना है। तिब्बत के लोग अपनी ही भूमि पर दोयम दर्जे का जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। न तो उन्हें राजनीतिक तौर पर प्रतिनिधित्व मिल रहा है और न ही धार्मिक स्वतंत्रता है। तिब्बत में पर्यावरण असंतुलन पैदा कर तिब्बत की संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है, जो असहनीय है। उन्होंने धर्मगरु दलाईलामा की दीर्घायु के लिए प्रार्थना भी की। इस मौके पर तिब्बती कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुति किया। वर्षगांठ पर पहली बार केंद्रीय तिब्बत प्रशासन के सराहनीय कार्य करने वाले चार कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। इसके अलावा एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। समारोह को संसद के डिप्टी स्पीकर सोनम सांफेल ने भी संबोधित किया। अंत में तिब्बत में आत्मदाह करने वाले युवाओं के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
तिब्बत में मानवाधिकार दिवस पर आत्मदाह
मानवाधिकार दिवस पर तिब्बत में एक तिब्बती ने आत्मदाह कर चीन की क्रूर नीतियों का विरोध जताया है। मंगलवार सुबह हुए इस आत्मदाह की सूचना देर शाम निर्वासित तिब्बत सरकार को मिली, जिस पर सभी ने शोक व्यक्त किया।
Link of news : http://www.jagran.com/himachal-pradesh/dharmshala-10927350.html