पंजाब केसरी, १० जुलाई २०१८
उदयपुर (जगमोहन): हिमाचल में चीन अधिकृत तिब्बत की सीमा तक हाईवे बनाने का दूसरा पहलू काफी कुरूप है। खतरनाक सड़क मार्ग पर यात्रियों की सांसें हलक में अटक रही हैं और दावे हाईवे निर्माण के किए जा रहे हैं। चीन के मुकाबले देश का सुरक्षा घेरा और मजबूत करने की गरज से स्पीति में प्रस्तावित हवाई पट्टी अढ़ाई दशक से हवा में कहां गुम हो गई है। इसके बारे में भी कोई नहीं जानता। इसका रंगरीक में बाकायदा भूमि पूजन हुआ और शिलान्यास भी किया गया। इन औपचारिकताओं के बाद हवाई पट्टी का निर्माण करीब 25 वर्षों से आगे क्यों नहीं बढ़ पाया इस तथ्य को लेकर सीमांत क्षेत्रों में संशय आज भी बना हुआ है। हालांकि हिमाचल में किन्नौर जिला की ओर से सीमा रेखा पर आई.टी.बी.पी. की दुर्गम चौकी कोरिक तक हिंदुस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय राजमार्ग को हाईवे बनाने के दावे सामने आए हैं तो दूसरी तरफ लाहौल-स्पीति की ओर से सीमा तक जाने वाले रोड की सुध कौन लेगा। लाहौल-स्पीति के ए.डी.सी. विक्रम सिंह नेगी का कहना है कि बी.आर.ओ. के अधिकारियों ने बताया है कि ग्रांफू से सुमदो सड़क मार्ग की मैंटीनैंस का बजट नहीं है।
मलिंग बंद होने पर मिलिटरी के लिए यही है एकमात्र रास्ता
ग्रांफू -समदो रोड के बारे में जब भी देश-विदेश के पर्यटकों से बात की गई तो कई पर्यटकों का तर्क था कि वहां रोड नाम की कोई चीज नहीं थी हम तो नाले से होकर आए हैं। स्पीति के लोग बताते हैं कि कोरिक तक बना हिंदोस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय राजमार्ग सीमा पर कब दगा दे जाए इसका भी कोई भरोसा नहीं, क्योंकि इस सड़क मार्ग पर मलिंग की दहशत कभी कम नहीं हुई है। यह मौसम की परिस्थितियां नहीं देखता। इसका भू-स्खलन हर मौसम में कहर बरपाता है। सीमा को जोड़ने वाले इस रोड में मलिंग का दंश बी.आर.ओ. भी कई वर्षों से झेल रहा है बावजूद इसके लाहौल-स्पीति की ओर से ग्रांफू-सुमदो सड़क मार्ग की ओर कभी ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है। भले ही यह रोड साल में कुछ माह ही खुला रहता है लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसकी अहमियत को भी कम नहीं आंका गया है। कई मर्तबा सेना की गाड़ियों के काफिले इस रोड का सहारा लेते देखे गए हैं। मलिंग बंद होने की सूरत पर यही रोड एकमात्र ऐसा रास्ता है जिससे सेना के लिए रसद व आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति आसानी से की जा सकती है।
ग्रांफू से लोसर तक करीब 90 किलोमीटर पूरी तरह कच्चा सिंगल लेन सड़क मार्ग कई स्थानों पर गहरी खाइयों और नालों का रूप धारण कर गया है। इस सड़क मार्ग पर बसों से आज भी यात्रियों को उतार दिया जा रहा है। महिलाएं-बच्चे विपरीत परिस्थितियों में हर रोज बेबस हो रहे हैं। मजबूर चालक भी कह रहे हैं कि ये लोगों की जिंदगी और मौत का सवाल है। यात्रियों की जान को खतरे में नहीं डाल सकते। इस रोड में बसें औसतन 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं। पिछले कई वर्षों से रोड की मुरम्मत तक नहीं की गई है।