tibet.net / तथाकथित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के नागचु (चीनी: नाकू) प्रान्त के ढोंग्ये नाम के एक तिब्बती व्यक्ति के ‘मरणासन्न स्थिति’ में होने की सूचना है। एक विश्वसनीय सूत्र ने बताया कि उसकी हालत गंभीर है क्योंकि वह जेल में लंबे समय तक यातना के कारण लगी चोटों से पीड़ित है।
२०१८ में चीन सरकार द्वारा एक पवित्र तिब्बती पर्वत पर खुदाई कराने की योजना के खिलाफ ड्रिरू (चीनी: बीरू) काउंटी में खनन विरोधी प्रदर्शन के बारे में जानकारियां निर्वासित तिब्बतियों को साझा करने के आरोप के बाद ढोंग्ये को ‘सरकारी गोपनीय जानकारी लीक करने’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 50 वर्षीय व्यवसायी पर्यावरण संरक्षण के प्रबल समर्थक रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद, उन्हें तनहाई हिरासत में रखा गया था और लंबे समय तक उनके बारे में कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की गई। हाल ही में यह पता चला था कि ढोंग्ये को ड्रिरू काउंटी जेल में हिरासत में रखा जा रहा इै। उसे सजा दिए जाने के बारे में कोई खबर नहीं आई है, लेकिन वह अभी भी ड्रिरू काउंटी जेल में बंद है।
हमारे सूत्रों के अनुसार, ढोंग्ये पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं और हिरासत में यातना और दुर्व्यवहार के कारण गंभीर रूप से बीमार हैं। अतीत में, उन्होंने कई पर्यावरण कार्यक्रमों का आयोजन किया था और कई अन्य में भाग लिया था। इन आयोजनों के दौरान वह अपनी चिंताओं को व्यक्त करते थे और तिब्बत के पर्यावरण की रक्षा की तत्काल आवश्यकता का आह्वान करते थे। उन्होंने २०१३-२०१४ में सेर्ने गांव में आयोजित ‘स्वच्छ पर्यावरण’ प्रतियोगिता भी जीती।
ढोंग्ये का जन्म नागचु के ड्रिरू काउंटी के शागचु (चीनी: ज़ियाकू) शहर के ढाकरा गांव में हुआ था।
ड्रिरू काउंटी में शोषणकारी खनन
तिब्ब्तन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट एंड डेमोक्रेसी की रिपोर्ट के अनुसार,अप्रैल २०१८ में चीनी अधिकारियों द्वारा मार्कोर गांव के नेता कर्मा को हिरासत में लिए जाने और निर्वासित तिब्बती स्रोतों को खनन परियोजना की जानकारी साझा किए जाने की खबर के बाद, मार्कोर, वाथांग और गोचू गांवों से ढोंग्ये सहित ३० तिब्बतियों को हिरासत में लिया था।
रिपोर्ट के अनुसार, कर्मा को फरवरी के अंत में एक आधिकारिक आदेश को चुनौती देने के लिए हिरासत में लिया गया था। आधिकारिक आदेश के द्वारा मार्कोर, वाथांग और गोचू गांवों के सभी निवासियों को मजबूर करके एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवाया गया जिसके अनुसार स्थानीय अधिकारियों को पवित्र सेबट्रा ज़ाग्येन पर्वत पर खनन करने की अनुमति दे दी गई थी। हालांकि, कर्मा ने खुले तौर पर सरकारी अधिकारियों का यह कहते हुए विरोध किया कि वह दस्तावेज़ पर केवल तभी हस्ताक्षर करेंगे जब वे तेनज़िन और रंगदी जैसे दिग्गज पार्टी नेताओं से इस खनन के लिए अनुमोदन का सबूत पेश करेंगे।
जब कर्मा की गिरफ्तारी की खबर निर्वासित तिब्बतियों तक पहुंच गई तो अधिकारियों ने तुरंत सभी को एक बैठक के लिए बुलाया, जिस दौरान सूचना लीक करने के संदेह में तिब्बतियों को हिरासत में लिया गया।
स्थानीय तिब्बतियों को इस बात की चिंता है कि खनन से पवित्र सेबत्रा ज़ग्येन पर्वत नष्ट हो जाएगा, जो कि त्सो (तिब्बती मृग), नाह (नीली भेड़) और गोवा (तिब्बती गज़ेल) जैसे लुप्तप्राय जानवरों का आवास भी है। इस बात की आशंका थी कि खनन से एक अन्य पवित्र पर्वत ड्रेकर पर भूस्खलन भी हो सकता है, जो कि सेबत्रा ज़ग्येन के दाहिनी ओर स्थित है। इस कारण से स्थानीय ग्रामीणों को पानी की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाएगी।