धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार की एक वेबसाइट के मुताबिक नोबल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “एक तिब्बती के तौर पर मैं अपने लोगों को नहीं छोड़ सकता और न ही तिब्बत का स्थायी समाधान ढूंढने की अपनी जिम्मेदारी से भाग सकता हूं। मैं आश्वस्त हूं कि तिब्बती इससे चिंतित नहीं होंगे।”
दलाई लामा ने चीनी नेतृत्व द्वारा लगाए गए आरोप से भी इंकार किया। चीनी नेताओं ने कथित तौर पर कहा था कि तिब्बती ‘ग्रेटर तिब्बत’ के निर्माण का प्रयास कर रहे हैं।
दलाई लामा ने कहा, “हमने कभी ‘ग्रेटर तिब्बत’ की मांग नहीं की है।” चीन तिब्बत को झिजांग कहता है। लगभग 6 लाख तिब्बती निर्वासित तरीके से जीवन बिता रहे हैं, जो तिब्बत के विभिन्न भागों से आते हैं और इनमें खाम और आमदो प्रांत के लोग भी शामिल हैं।
दलाई लामा ने कहा, “चीन की सरकार तिब्बतियों पर यह आरोप लगा रही है कि वह ‘ग्रेटर तिब्बत’ की मांग कर रहे हैं, जिसमें किंगहई, गांसू और सिचुआन प्रांत शामिल होंगे।”
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।