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गांवों में बसता है गांधी का सपना

February 14, 2011

अजमेर/हरमाड़ा-तिलोनिया. तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि वर्तमान में अमीरी व गरीबी की खाई चौड़ी है। गांवों में अभी भी विकास की दरकार है। गांधी का रामराज्य गांवों में ही है। ग्रामीणों को हताश होने की जरूरत नहीं, उन्हें दया नहीं चाहिए। वे अपने कर्म व आत्मविश्वास के साथ सतपथ पर चलकर विकास की गाथा लिख सकते हैं। हम सभी साथ मिलकर काम करें तभी हमारा विकास होगा।

दलाई लामा रविवार को यहां बेयरफुट कॉलेज में सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा इसके लिए बंकर रॉय और उनका संस्थान अच्छा कार्य कर रहा है। कॉलेज के द्वारा जो सोलर ऊर्जा का कार्य किया जा रहा है वह औचित्यपूर्ण है। राज्य सरकार लोगों के साथ मिलकर कार्य करे तो निश्चित रूप से उपलब्धि हासिल होगी। भारत में बदलाव लाना मुश्किल है। लेकिन आत्मविश्वास अगर मजबूत है तो निश्चित रूप से हम इसमें बदलाव ला सकते हैं। दलाई लामा ने नोबल पुरस्कार राशि में से बेयरफुट कॉलेज को बड़ी रकम भी देने की बात कही।

देखी कॉलेज की कार्यप्रणाली: दलाई लामा ने रविवार दोपहर में बेयरफुट कॉलेज द्वारा किए जाने वाले कार्य व गतिविधियों की जानकारी ली व महिला कार्यकर्ताओं से सवाल-जवाब किए। बौद्ध गुरु को कॉलेज की संचार टीम के प्रमुख जोखिम चाचा से बेयरफुट कॉलेज का परिचय देते हुए महिला ग्रुप व उसके कार्य के बारे में बताया। उन्होंने सौर ऊर्जा ट्रेनिंग सेंटर में विदेशी महिलाओं को काम करते भी देखा। संचार विभाग में पपेट-शो की कार्य प्रणाली भी देखी।

टेलिफोन विभाग में कार्य करने वाले विकलांग गोपाल को दलाई लामा ने आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर पंचायतराज मंत्री भरत सिंह, जिला कलेक्टर मंजू राजपाल, एसपी विपिन पांडे, डूंगरपुर कलेक्टर पीसी किशन, बेयरफुट कॉलेज की गवर्निंग बॉडी की सदस्य आनंद लक्ष्मी, समाज सेविका अरुणा रॉय, शंकर सिंह, रतन देवी, लक्ष्मण सिंह, रामकरण, भंवर सिंह, मंथन संस्थान के तेजाराम, शोध संस्थान शोलावता धनराज शर्मा, सारा के मोटाराम, बांदरसिंदरी थाना प्रभारी अर्पण चौधरी भी मौजूद थे।

राजस्थानी भोजन का लिया स्वाद: दलाई लामा ने कॉलेज के निदेशक बंकर रॉय के निवास पर राजस्थानी भोज का लुत्फ उठाया। जिसमें मक्के-बाजरे की रोटी, और कलाकंद भी शामिल था। राय ने आपसी संवाद की हो 21वीं सदी: पत्रकार वार्ता में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि २१वीं सदी संवाद की होनी चाहिए। आपसी संवाद से ही हम विकास और मानवता के पथ पर चल सकेंगे। अमीर-गरीब का अंतर आने वाले समय में खतरा सिद्ध हो सकता है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बंकर रॉय बिना किसी डिग्री के लोगों को काम सिखा रहे हैं। इनके प्रयास से ही दुनिया सोलर ऊर्जा की कार्य प्रणाली सीख रहा है। करमापा के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उन्हें विदेशी मुद्रा उनके शिष्यों ने भेंट की थी जिसका पंजीयन नहीं किया गया। अब सारी कार्रवाई की जा चुकी है। यह मसला सुलझा लिया गया है। स्वयं के रिटायरमेंट पर उन्होंने कहा कि मैं सेमीरिटायर महसूस कर रहा हूं। तिब्बती लोगों की प्रतिनिधि कमेटी ही निर्णय लेती है। बड़े मसलों पर मेरी राय ली जाती है। सम व्यवहार पूरी दुनिया में होना चाहिए।


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