महामेधा, 22 अगस्त, 2012
मेरठ। हमारे पड़ौसी देश तिब्बत मे लोकतंत्र पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। वहां के लोग न ही किसी के बारे में भी विरोध प्रकट नहीं कर सकते हैं और न ही अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति के पास दलाई लामा की छोटी सी तस्वीर भी मिल जाती है तो उस व्यक्ति को सात वर्ष जेल में बिताने पड़ते हैं।
अगर हमारे पड़ौसी के साथ इतना अन्याय हो रहा है तो भला हम कैसे चुप रह सकते है। यह बाते माल रोड स्थित पंडित दीन दयाल कॉलेज में अन्तर्राष्ट्रीय भारत तिब्बत सहयोग समिति व ज्ञान परिषद के तत्वाधान में आयोजित विचार संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार विजय क्रांति ने अपने संबोधन में कही।
उन्होंने कहा कि तिब्बतियों को उनके ही देश में गुलामी की जिदंगी बितानी पड़ रही है। पड़ौसी देश चीन, तिब्बत की संस्कृति, लोकतंत्र और आजादी पिछले कई वर्षें से मिटाने पर जुटा हुआ है। कई बार तिब्बतियों ने तिब्बत और भारत में आत्मदाह कर के अपनी पीड़ दुनिया को दिखाई, लेकिन अभी भी संयुक्त राष्ट्र संघ तिब्बतियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ चुप्पी साधे हुए है, यह सोचने का विषय है। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता विजय क्रांति ने की और संचालन राजगोपाल जी ने किया। इस मौके पर अन्तर्राष्ट्रीय भारत तिब्बत सहयोग समिति और ज्ञान परिषद के कई सदस्य शामिल रहे।