धर्मशाला। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने २६ जनवरी १९५० को भारत में इसका संविधान लागू होने की याद में २६ जनवरी २०२४ को गंगचेन किइशोंग में भारत का ७५वां गणतंत्र दिवस मनाया।
समारोह में निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल, शिक्षा विभाग के कार्यवाहक सिक्योंग कालोन (मंत्री) थारलम डोल्मा चांगरा, निर्वासित तिब्बती संसद की डिप्टी स्पीकर डोल्मा छेरिंग तेखांग, न्याय आयुक्त तेनज़िन लुंगटोक, कालोन नोरज़िन डोल्मा के अतिरिक्त सीटीए के सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
ध्वजारोहण के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कार्यवाहक सिक्योंग कालोन थरलाम डोल्मा चांगरा ने इस अवसर पर तिब्बती लोगों की ओर से भारत सरकार और लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ‘भारत इस बात का जीवंत उदाहरण है कि कैसे एक लोकतांत्रिक प्रणाली सुचारू रूप से फल-फूल रही है और यह बाकी दुनिया के लिए एक सबक है जिसका उन्हें अनुकरण करना चाहिए, जैसा कि हमने किया है। उन्होंने कहा कि निर्वासन में भारत आने के तुरंत बाद परम पावन दलाई लामा ने सरकार का एक लोकतांत्रिक स्वरूप अपनाया जो तिब्बत के इतिहास में कभी अस्तित्व में नहीं था। हम भारत के नक्शेकदम पर चले हैं। भारत सरकार और यहां के लोग निर्वासित तिब्बतियों के प्रति बहुत दयालु रहे हैं और तिब्बतियों के लिए उनका ऐसा होना काफी महत्वपूर्ण है।‘ इस संबंध में उन्होंने भारत की आजादी के बाद की संवैधानिक संशोधन प्रक्रिया का उल्लेख किया और इसकी संपन्न लोकतांत्रिक प्रणाली की सराहना की।
इसी तरह निर्वासित तिब्बती संसद की डिप्टी स्पीकर डोलमा छेरिंग तेखांग ने भी मीडिया को संबोधित किया और कहा, ‘इस अवसर पर मैं प्रगतिशील भारत को दुनिया का नेतृत्व करने के लिए शुभकामनाएं देना चाहती हूं।‘