धर्मशाला। भारत की आजादी की ७७वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए)ने एक संक्षिप्त समारोह का आयोजन किया। सिक्योंग पेन्पा छेरिंग के नेतृत्व में आयोजित समारोह में तिब्बती लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के प्रमुखों–कालोंस, स्वायत्त निकायों के प्रमुखों, सचिवों और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
समारोह की शुरुआत में सिक्योंग ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज- तिरंगे को फहराया और उसके बाद भारत का राष्ट्रगान गाया। समारोह के बाद सिक्योंग ने मीडिया कर्मियों को संबोधित किया और इस ऐतिहासिक दिन पर भारत सरकार और भारतीय जनता को बधाई दी।
सिक्योंग ने भारत की उपलब्धियों का बखान करते हुए कहा, ‘लंबे समय के ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान भारत अशांति के दौर से गुजरा और फिर १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त की। आजादी के पिछले ७७ वर्षों मेंभारत ने आर्थिक, सैन्य और सुरक्षा की दृष्टि से बहुत प्रगति की है।‘ हालांकि, इस दौर में उसने कभी दूसरों के प्रति आक्रामक रुख नहीं अपनाया।‘
उन्होंने आगे कहा,‘मैं तिब्बत के अंदर और तिब्बत से बाहर रहने वाले तिब्बतियों की ओर से भारतीय लोगों को इस दिन की खुशी मनाने के लिए बधाई देना चाहता हूं,क्योंकि हम एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां हमारे देश में स्वतंत्रता नहीं है। इसकी आप बेहतर कल्पना कर सकते हैं क्योंकि भारत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अधीन रह चुका है। हम भारत सरकार और भारत के लोगों को फिर से बधाई देना चाहते हैं। हम भारत के लोगों से यह भी कहना चाहते हैं कि वे इस आजादी को संजोकर रखें, क्योंकि यह अपने आप नहीं मिली है।आपको लोगों के मौलिक अधिकारों के लिए काम करना होगा। हम अभी बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं और आप हर समय हमारा समर्थन करते रहे हैं। हम उस दिन की भी तलाश में हैं जब हम मुक्त वातावरण में तिब्बत वापस जाएंगे।‘
तिब्बत वापसी की अपनी उत्कटउम्मीदों के बारे में उन्होंने जोर देकर कहा, ‘हम हमेशा आशान्वित रहते हैं।जैसा कि मैंने कहा था कि यदि कोई आशा नहीं होती तो यह तिब्बत मुद्दा बहुत पहले ही समाप्त हो गया होता। अगर यह आज भी मौजूद है तो इसका कारण यही है कि हमारे मन में आशा बनी हुई है। उम्मीद और आशा के बिना इसका कोई मतलब नहीं है। ऐसे में आपके उद्देश्य को भी कोई तरजीह नहीं देता है।इसलिए आशा रखना बहुत अधिक अहम बात है। यह बात हर कोई जानता है कि आज अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बहुत गतिशीलता है। इसलिए आप नहीं जानते कि चीन कब बदल जाएगा और एक दिन ऐसा आएगा जब तिब्बत की भूमि पर प्रकाश व्याप्त हो जाएगा।‘
उन्होंने चीन सरकार को कड़ा संदेश देते हुए कहा, ‘इस दुनिया में हर कोई स्वतंत्र पैदा हुआ है।इसलिए हम किसी सरकार को यह अधिकार नहीं देसकते कि वह व्यक्ति के जीवन के हर हिस्से को नियंत्रित करे।इसलिए लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। जब तक सरकार लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान नहीं करेंगी, कोई भी सत्तारूढ़ सरकार समय तक जीवित नहीं रह पाएगी।इसलिए लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं पर विचार करना होगा। चीन जो भी हथकंडे अपना रहा है, उसकी पूरी खबरें आ रही हैं। वह नियमों में जो भी संशोधन कर रही है या नए नियम आज बना रही हैं, वे अच्छे संकेत नहीं हैं। यह चीनी सरकार की व्याकुलता का संकेत है इसलिए यह अच्छा संकेत नहीं है। इससे लोगों में और अधिक असंतोष पैदा होगा और अंततः ऐसी स्थितियां उत्पन्न होंगी जो कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी। इसलिए अगर शांति चाहिए, अगर ऐसी सरकार चाहिए जो लोगों के लिए फायदेमंद हो तो अधिक समझदारी चाहिए।वर्तमान चीनी नेतृत्व के पास ऐसे शासन की ओर बढ़ने की बुद्धि होनी चाहिए जो सरकार और लोगों के साथ ही पूरी दुनिया के लिएफायदेमंद हो।‘