दैनिक ट्रिब्यून, 6 अप्रैल (एजेंसी)
नयी दिल्ली! तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने शनिवार को कहा कि बाहरी दुनिया में निरस्त्रीकरण हासिल करने की कोशिश करने से पहले लोगों को अपने अंदर हिंसा की भावना को खत्म की जरुरत है। अध्यापकों के वैश्विक सम्मेलन में यहां 35 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करने से पहले 83 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु ने ‘करुणा’ के विषय को स्कूल के पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने पर जोर दिया।
दलाई लामा ने कहा, ‘20वीं सदी ने अत्यधिक हिंसा और हत्याएं, प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध और अन्य परेशानियां देखी। आज की दुनिया में भी हिंसा हो रही है और डर एवं नफरत पैदा करने के लिए विध्वंसकारी हथियारों पर पैसा खर्च किया जा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘बाहरी दुनिया में निरस्त्रीकरण हासिल करना महत्वपूर्ण है लेकिन उससे पहले हम मनुष्यों को अपने अंदर हिंसा की भावना को खत्म करना होगा। आक्रोश सिर्फ तबाही की ओर ले जाता है।’ दलाई लामा ने कहा कि 21वीं सदी ‘शांति, अहिंसा और करुणा की सदी’ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में करुणा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।