तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने मनुष्य के अधिकांश दुखों के लिए अज्ञान और अशिक्षा को जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उजाला फैलाकर ही सुखी विश्व का निर्माण किया जा सकता है ।
लामा ने कहा कि संसार में व्याप्त दुख और तकलीफें बेवजह पैदा नही हुई है । वस्तुत सभी दुख कर्मों और क्लेश से पैदा होते है , लेकिन तकलीफों का सबसे बडा कारण अशिक्षा और अज्ञानता है । उन्होंने कहा कि सभी दुख क्लेश और दुर्भावनाओं से पैदा नही होते , बल्कि आधिकांश शिक्षा और ज्ञान की कमी से भी उत्पन्न होते है । विधा से ही दुख दूर किए जा सकते है और गौतम बुद्व के उपदेशों में भी यही बात कही गई है।
विश्व में भी बढती असहिष्णुता की तरफ इशारा करते हुए दलाई लामा ने कहा कि दुनिया में मौजूद तमाम धार्मिक परम्पराओं में मानसिकता को साफ करने की जरुरत पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में माने जा रहे सभी धमों में सैद्बांतिक अंतर है, लेकिन इसके बावजूद वे सभी मुलत एक ही सेंदेश देते है, और वह है लोगों के दुखों को दूर करना और उन्हें खुशी देना।
दलाई लामा ने कहा कि चित्त की शुचिता के विषय पर उनकी वैज्ञानिकों से पिछले करीब 30 वषों से चर्चा होती रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया ने शांति के लि जरुरी पाक मन के महत्व को समझा है। अमेरिका में चित्त औऱ कुशल तथा अकुशल भावनाओं के विषय पर शोध किए जा रहे है।
अशिक्षा सभी दुखों का कारण । दलाई
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