चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिका को ताइवान और तिब्बत के मामले पर जोर न देने की चेतावनी दी.
अमेरिका की सरकारी यात्रा पर आए चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ ने अमेरिका को ताइवान और तिब्बत के मामले पर जोर न देने की चेतावनी देते हुए कहा कि उभरती एशियाई शक्ति को सहयोग की जरूरत है.
व्हाइट हाउस में शानदार रात्रि भोज का आनंद लेने के अगले दिन, बृहस्पतिवार जब हू कैपिटल हिल गए तो वहां शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने उनके साथ बातचीत में आर्थिक और मानवाधिकार चिंताओं का मामला उठाया, जिसमें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लियु श्याबाओ को जेल की सजा का मुद्दा भी शामिल था.
इसके बाद हू ने अमेरिका की औद्योगिक और राजनीतिक हस्तियों को अपने संबोधन में ‘आपसी सम्मान’ का अनुरोध करते हुए कहा ‘चीनी और अमेरिकी संबंध ऐसे नहीं हैं जिनमें एक को लाभ और दूसरे को हानि हो.’
चीनी नेता ने कहा कि ताइवान और तिब्बत चीन की संप्रभुता और भूभागीय एकता से जुड़े मुद्दे हैं और चीन के मुख्य हितों को दर्शाते हैं.
हू ने कहा ‘हमारे संबंधों के इतिहास की समीक्षा बताती है कि अमेरिका चीन संबंध तब ही तनावमुक्त और तेजी से विकसित होने वाले होंगे जब दोनों देश एक दूसरे के हितों से जुड़े मुद्दों से समझदारी से निपटेंगे. अन्यथा हमारे संबंधों में लगातार मुश्किल और तनाव रहेगा.’
ताइवान एक स्वशासित द्वीप है, जिसकी स्थापना चीन के पराजित राष्ट्रवादियों ने की. तिब्बत बौद्धों का एक बड़ा भूभाग है जहां चीन ने 1950 में अपने सैनिक भेजे. चीन ताइवान और तिब्बत दोनों को अपना अभिन्न मानता है.
हू के साथ एक दिन पहले संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिकी रूख दोहराया कि ताइवान और तिब्बत चीन के भाग हैं, लेकिन उन्होंने चीन से तिब्बत के निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से बातचीत करने का भी अनुरोध किया. दलाई लामा अमेरिका में बहुत लोकप्रिय हैं और अमेरिका उनसे चीन की बढ़ती सेना के खिलाफ ताइवान को बचाने में मदद देने का वादा कर चुका है.
अमेरिका और उसके मित्र देश, खास तौर से जापान इस बात से चिंतित हैं कि चीन रक्षा बजट में अंधाधुंध बढ़ोतरी कर रहा है. चीन ने इस महीने ठीक उसी समय स्टील्थ फाइटर का परीक्षण किया, जब अमेरिका के रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स दौरे पर थे.
बहरहाल, हू ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा ‘हम न तो हथियारों की दौड़ में शामिल हैं और न ही किसी अन्य देश के लिए सैन्य खतरा उत्पन्न करते हैं. चीन ने न तो कभी अधिपत्य चाहा और न ही विस्तारवादी नीति पर अमल किया.’
हू जिंताओ के मजाक बनाये जाने की आलोचना
विवादित रेडियो उदघोषक रश लिमबग चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ के बोलने की शैली का मजाक बनाये जाने को लेकर आलोचना के घेरे में हैं.
हू जिंताओ के बोलने की शैली का मजाक बनाये जाने को लेकर रूढ़िवादी रेडियो उदघोषक की एशियाई अमेरिकी समुदाय के लोगों ने काफी र्भत्सना की है.
बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और हू जिंताओ के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अनुवाद के कारण हुई देरी को रेडियो उदघोषक ने ‘चीकाम तानाशाह’ कहकर हू का मजाक उड़ाया था.
लिमबग ने कल कहा ‘वह बोल रहे थे और उसका अनुवाद नहीं किया जा रहा था. वे सामान्य तौर पर प्रत्येक शब्द का अनुवाद करते है लेकिन हूं जिंताओं केवल चिंग चांग चिंग चांग कर रहे थे.’
राष्ट्रपति ओबामा की डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से कांग्रेस और सदस्य के रूप में प्रथम चीनी अमेरिकी प्रतिनिधि की भूमिका निभाने वाले डेविड वु ने लिमबग की अलोचना करते हुए कहा कि उसने बचकना हरकत की है.