जिनेवा। दुनिया भर में मानवाधिकारों की स्थिति पर ध्यान आकर्षित करते हुए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के एक समूह ने तिब्बत में चीन द्वारा मानवाधिकारों के लगातार उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के वैश्विक ताजा जानकारियों के बीच उच्चायुक्त ने चीन द्वारा अधिकारों के उल्लंघन पर संधि निकायों के चीन के संदर्भ में निष्कर्षों पर प्रकाश डाला, जिसमें तिब्बती लोगों की ‘पहचान को कमजोर करने वाली आत्मसातिकरण की नीतियां’ भी शामिल हैं। उच्चायुक्त ने परिषद को यह भी बताया कि उच्चायुक्त का कार्यालय चीन के साथ ‘आगे जुड़ाव की मांग’ कर रहा है, जिसमें चीन में ‘पहली बार’ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की उपस्थिति ‘स्थापित’ करने का महत्व भी शामिल है। इसके अलावा, उच्चायुक्त ने चीन से ‘विशेष प्रक्रिया जनादेश धारकों की विशेषज्ञता लेने’ का आह्वान किया।
उच्चायुक्त के वैश्विक अपडेट की प्रस्तुति के बाद ऑस्ट्रेलिया, चेक गणराज्य, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, स्वीडन और इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम) सहित संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने अपने देश के बयान में तिब्बत का मुद्दा उठाया।
चीन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए चेक गणराज्य ने चीन से अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को ‘बरकरार’ रखने और सभी व्यक्तियों के सार्वभौमिक मानवाधिकारों की रक्षा करने और तिब्बत में चल रहे गंभीर और व्यवस्थित मानवाधिकार उल्लंघन को समाप्त करने का आग्रह किया। इसी तरह, यूनाइटेड किंगडम ने चीन से अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखने और तिब्बत में चल रहे गंभीर और व्यवस्थित मानवाधिकारों के उल्लंघन को समाप्त करने सहित सभी व्यक्तियों के सार्वभौमिक मानवाधिकारों की रक्षा करने का आग्रह किया।
इसके अलावा स्विट्जरलैंड, स्वीडन और जर्मनी ने तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की और मानवाधिकार रक्षकों के उत्पीड़न सहित कई मुद्दे उठाए। चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव उन्मूलन समिति (सीईडीएडब्ल्यू) के निष्कर्षों को दोहराते हुए ऑस्ट्रेलिया ने तिब्बत में तिब्बती महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार पर चिंता जताई।
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के ६५ सदस्य देशों की ओर से एक संयुक्त बयान दिया, जिसमें राज्य द्वारा ‘धार्मिक, भाषाई, राष्ट्रीय और नस्लीय अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित व्यक्तियों के प्रति किए गए निंदनीय मानवाधिकार उल्लंघनों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया। यह काम अक्सर सुरक्षा खतरे को कम करके दिखाने के घोषित उद्देश्य के साथ किया जाता है। अमेरिका द्वारा दिए गए संयुक्त बयान में अधिकारों के उल्लंघन की एक शृंखला को उद्धृत किया गया, जिसमें विशेष रूप से उन प्रथाओं को प्रतिबंधित करने और दबाने वाले कानून और नीतियां शामिल हैं जो अल्पसंख्यकों समुदाय के व्यक्तियों की पहचान और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा हैं। अधिकारियों ने सांस्कृतिक विरासत स्थलों, कब्रिस्तानों और इनके पूजा स्थानों को नष्ट कर दिया। भाषाओं को दबाया, शिक्षा प्रणाली के माध्यम से बच्चों को जबरन अपनी संस्कृति में आत्मसात किया है, आवाजाही पर गंभीर प्रतिबंध लगाया है और आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक को प्रतिबंधित किया है।
इसके अतिरिक्त विशिष्ट विषयगत मुद्दों पर एक संवादात्मक बातचीत के दौरान अमेरिका ने तिब्बत में चीनी सरकार द्वारा संचालित बोर्डिंग स्कूलों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए शिक्षा पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत की सराहना की। अमेरिका ने कहा कि तिब्बत में चीनी सरकार द्वारा चलाए जा रहे जबरन बोर्डिंग स्कूलों ने लगभग दस लाख तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से ‘जबरन अलग’ कर दिया है और यह मानवाधिकार संबंधी चिंताओं में गंभीर विषय है।
तिब्बत ब्यूरो और सोसाइटी फॉर थ्रेटेंड पीपुल्स ने संयुक्त रूप से तिब्बत में चीन के दमन पर प्रकाश डालने के लिए एक अतिरिक्त कार्यक्रम का आयोजन किया। इसके अलावा, तिब्बती महिलाओं के खिलाफ चीन की भेदभावपूर्ण नीतियों और तिब्बत में चीन के औपनिवेशिक शैली के बोर्डिंग स्कूलों को ५३वें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद सत्र में उठाया गया।