दैनिक भास्कर, 2 अगस्त 2013
मुख्य संवाददाता। नागपुर! निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डा. लाबसांग सांगे गुरूवार को नागपुर पहुंचे। भंडारा स्थित गोठणगांव में तिब्बती शरणार्थियों से मिलने आये डा.सांगे नागपुर से होते हुए गए।
इस दौरान उन्होंने दीक्षाभूमि पर और रेशमबाग स्थित डा. हेडगेवार स्मृति भवन को भेंट दी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री डा. लाबसांग सांगे तिब्बतियों की समस्याओं पर सकारात्मक दिखे। संवाददाताओं से बात करते हुए डा. सांगे ने कहा कि तिब्बत की समस्या चर्चा से हल हो सकती है। हालांकि चीन अपने अडि़यल रूख पर कायम है। चीन के दमन के विरोध में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आत्मदाह करने के संदर्भ में पूछे गए सवाल प्रधानमंत्री डा. सांगे ने कहा कि चीन का अत्याचार जारी है।
तिब्बत की जनता चर्चा और शांति चाहती है। किन्तु चीन अड़ा है। चीन अब भी कह रहा है तिब्बत हमारा है। दीक्षाभूमि को भेट देने पर डा. सांगे ने डा. बाबासाहब आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि बाबासाहब ने तिब्बत को मान्यता देने की मांग की थी। दीक्षाभूमि की वजह से यहां आंबेडकरी जनता और तिब्बती जनता एक-दूसरे के काफी करीब हैं। दोनों का साथ मजबूत रहा है।