तिब्बत.नेट
धर्मशाला। शुक्रवार की सुबह एक प्रसिद्ध स्तंभकार और योग शिक्षक इरा त्रिवेदी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति डॉ. लोबसांग सांगेय ने वैश्विक संकट के दौरान विश्वास और आध्यात्मिकता को अपनाने की बात की।
राष्ट्रपति डॉ. सांगेय ने कहा कि आध्यात्मिकता मानवता को एकजुट कर वैश्विक महामारी बन चुकी कोरोना वायरस का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल एकजुटता के माध्यम से ही वैश्विक संकट को हराया जा सकता है।
उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि उनके प्रशासन के साथ ही दुनिया भर में फैले तिब्बती समुदाय के लोग मानवता को सहयोग करने के मोर्चे पर सराहनीय काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया में तिब्बती लोग विशेष रूप से पूरे भारत और नेपाल में मठवासी समुदाय सक्रिय रूप से दिहाड़ी श्रमिकों और गरीबी में जी रहे लोगों की सक्रिय रूप से मदद कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि निर्वासन में रह रहे तिब्बती समुदाय के लोग भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे अधिक योगदान करते हैं, क्योंकि किसी भी देश ने भारत से अधिक तिब्बतियों और तिब्बती मुद्दे के लिए नहीं किया होगा। आभार और एकजुटता व्यक्त करने के तौर पर तिब्बती समुदाय के लोग संकट से लड़ने में भारत की मदद करने के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के अनुरूप योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यह पूछे जाने पर कि परम पावन महामारी को किस रूप में देखते हैं और लोगों के लिए उनका आध्यात्मिक मार्गदर्शन क्या है, राष्ट्रपति डॉ. लोबसांग सांगेय ने तुरंत उत्तर दिया- “करुणा”। उन्होंने कहा कि परम पावन मानवीय करुणा में उत्कट विश्वास करनेवाले और उसके प्रबल पक्षधर हैं। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो प्राचीन नालंदा परंपरा और मूल्यों से प्रेरित हैं। परम पावन हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि बुनियादी मानव प्रकृति करुणा है और मनुष्य स्वाभाविक रूप से दयालु, प्रेमी और करुणामय है। ठीक इसी तरह परम पावन ने प्रार्थनाओं के बनिस्पत करुणा पर आधारित क्रिया पर बल दिया है।
राष्ट्रपति सांगेय ने परम पावन द्वारा टाइम्स पत्रिका के लिए वैश्विक महामारी पर लिखे हालिया लेख का उल्लेख करते हुए टिप्पणी की कि कोरोना वायरस कार्रवाई की मांग करता है। कार्रवाई है- गरीबों की मदद करना, पड़ोसी की मदद करना और अग्रिम मोर्चे पर जाकर सक्रिय होना।
उन्होंने इस बात पर गौर किया कि कोरोना को हराने के लिए करुणा बहुत जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा कि “हमारे और उनके जैसी संकीर्ण अवधारणाओं के द्वारा बनाए गए क्षुद्र मतभेदों को पालने के बजाय अधिक महत्वपूर्ण है कि हम मानव समुदाय के रूप में एक साथ आएं और महसूस करें कि हम सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। क्योंकि कोरोना वायरस मानव की सामाजिकता, नस्लीयता और आर्थिक बाड़ों को नहीं मानता है।” उन्होंने कहा कि यह सब कुछ ऐसे उपदेश हैं जिसे हर कोई सामाजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण के अलावा आध्यात्मिक दृष्टिकोण अपनाकर सीख सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान स्थिति का सदुपयोग पर्यावरण के संरक्षण, स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में किया जाना चाहिए।
अंत में उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करने के लिए परम पावन वैश्विक अनुयायियों के लिए 16 और 17 मई को दो दिवसीय ऑनलाइन प्रवचन देंगे।