धर्मशाला। संयुक्त राष्ट्र के तीन स्वतंत्र विशेषज्ञों ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की सरकार से उन नौ तिब्बती पर्यावरण और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बारे में ठोस और सही जानकारी प्रदान करने की मांग की, जिन्हें हिरासत में लिया गया था और लंबी जेल की सजा सुनाई गई थी।विशेषज्ञों ने यह भी मांग की कि अगर चीन जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष के प्रति गंभीर है तो उनकी तत्काल रिहाई की जाए।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष रिपोर्टियर सुश्री मैरी लॉलर,शांतिपूर्ण सभा और एसोसिएशन की स्वतंत्रता पर विशेष रिपोर्टियर श्री क्लेमेंट न्यालेत्सोसीवोउले और सुरक्षित, स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ वातावरण का लाभ लेने से संबंधित मानवाधिकार दायित्वों के मुद्दे पर विशेष रिपोर्टियर श्री डेविड बॉयड ने १० अगस्त २०२३ को जारी एक संयुक्त बयान जारी किया। संयुक्त बयान में इन तीनों दूतों ने तिब्बती मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की हिरासत और सजा को लेकर पीआरसी द्वाराजानकारी नहीं देने और इन मुद्दों की अनदेखी करने पर चिंता व्यक्त की। उनका मानना है कि यह अनदेखी दुनिया को इन मुद्दों से नजर हटाने को लेकर जान-बूझकर किया गया प्रयास है। इसके अलावा विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर भी चिंता जताई कि इन कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारियों से उनके परिवारों को अंधेरे में रखा गया है।
चीन में न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता से इनकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने उन तिब्बतियों की हिरासत, मुकदमे या सजा की परिस्थितियों के बारे में स्पष्ट रूपरेखा प्रदान नहीं की है। इनका कहना है कि चीन में पक्षपातपूर्ण न्यायिक प्रणालीकी विशेषता अक्सर अस्पष्ट और भेदभावपूर्ण होना और आरोपों पर बंद दरवाजों के पीछे संदिग्ध रूप से सुनवाई करना है। हालांकि, ऐसे मामलों में जहां उनके पास ‘पर्याप्त’ जानकारी है, इन तिब्बती पर्यावरण कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया है और सात से ११ साल की जेल की सजा सुनाई गई है। विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत के दौरान कानूनी सलाह प्रदान की गई है या उन्हें जेल में रहते समय चिकित्सा देखभाल की गई।
ज्ञातव्य है कि पवित्र पर्वतों पर अवैध खनन गतिविधियों का विरोध करने और अमदो के तिब्बती क्षेत्रोंऔर खाम प्रांत में लुप्तप्राय प्रजातियों के शिकार का खुलासा करने के कारण नौ पर्यावरण मानवाधिकार कार्यकर्ताओं- अन्या सेंगद्रा, दोरजी डैक्टल, केलसांग चोकलांग, ढोंगये, रिनचेन नामडोल, छुल्ट्रिम गोनपो, जांगचुप न्गोदुप, सोगरूअभु और नेमेसी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।खाम प्रांत अब चीन के किंघई और सिचुआन प्रांत और तथाकथित तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में शामिल कर दिया गया है।
अपने बयान में विशेषज्ञों ने अनुरोध किया है कि पीआरसी सरकार इनछह मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सज़ा की अवधि, उनके ठिकाने और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी उपलब्ध कराए।विशेषज्ञों ने अनुरोध किया है कि पीआरसी सरकार उन्हें क्यों और कहां हिरासत में रखा जा रहा है और उनके स्वास्थ्य स्थितियोंके बारे में विवरण प्रदान करें और उनके परिवारों को उनसे मिलने की अनुमति दें।
विशेषज्ञों ने जोर देते हुए बताया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए चीन की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया गया है।साथ ही विडंबना यह भी है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट के खिलाफ लड़ाई में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को दंडित किया जा रहा है। उन्होंने तिब्बत के प्राकृतिक पर्यावरण की सुरक्षा की वकालत करने के लिए गैरकानूनी रूप से कैद किए गए सभी नौ तिब्बती कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा करने का आग्रह किया।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के कालोन नोरज़िन डोल्मा ने संयुक्त बयान का स्वागत किया और पिछले दशक में चीन द्वारा तिब्बती मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गैरकानूनी तरीके से चुप कराने की जांच करने के लिए विशेषज्ञों को धन्यवाद दिया। कालोन ने चीन से उन सभी तिब्बती राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का भी आग्रह किया, जिन्हें केवल तिब्बती संस्कृति, भाषा और पर्यावरण को चीनी अधिकारियों द्वारा नष्ट किए जाने से बचाने के अपने बुनियादी अधिकारों का प्रयोग करने के लिए कैद किया गया है।