जिनेवा। दो दिवसीय 2019 जिनेवा फोरम का उद्घाटन 14 नवंबर को मुख्य अतिथि और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति माननीय सिक्योंग डॉ लोबसांग सांगेय और स्विट्जरलैंड के राष्ट्रीय संसद के सदस्य और कार्यक्रम के विशेष अतिथि माननीय श्री कार्लो सोमारूगा द्वारा किया गया।
सभा में उपस्थित सम्मानित सदस्यों का स्वागत करते हुए जेनेवा स्थित तिब्बत कार्यालय में परमपावन दलाई लामा के प्रतिनिधि चिमे रिग्जेन ने परमपावन दलाई लामा के संदेश को पढ़कर सुनाया। संदेश में परम पावन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चीनी सरकार की ओर से किए जा रहे अनुचित गतिविधियों पर चीन को इंगित करने का आह्वान किया और कहा कि ‘यदि चीन विश्व समुदाय में अपना उचित स्थान प्राप्त करना चाहता है तो उसे साथ में जिम्मेदारियां भी स्वीकार करनी होंगी। यह उस स्थिति में आती हैं और बुनियादी स्वतंत्रता और मौलिक मानवाधिकार- दोनों को बनाए रखती है।
अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति डॉ. सांगेय ने विशेष रूप से कमजोर तिब्बती, उइगर और दक्षिणी मंगोलियाई लोगों पर नियंत्रण के लिए दमनकारी नीतियों को चलाने के लिए चीन द्वारा उपयोग किए जाने वाले उच्च तकनीक निगरानी उपकरणों का उल्लेख किया।
तिब्बत में विशेष रूप से तिब्बतियों के धर्म की स्वतंत्रता की भावना का दमन करने के लिए उच्च तकनीक दमन पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति डॉ. सांगेय ने कहा कि ‘ल्हासा में तिब्बती बौद्धों के लिए सबसे पवित्र जोखांग मंदिर है, जिसमें दीपों की जगह बंदूकें तनी रहती हैं और खिड़कियों की जगह कैमरे लगाए गए हैं।‘
उन्होंने आगे कहा कि लारुंग गार और याचेन गार बौद्ध अकादमियों के चल रहे विनाश तिब्बतियों के धर्म की स्वतंत्रता पर दमन अभियान का ही हिस्सा है। इसकी शुरुआत 1956 में चीन द्वारा तब हुआ, जब लिथांग में पहला मठ नष्ट किया गया। तिब्बतियों की धार्मिक परंपराओं में चीन के बार-बार हस्तक्षेप का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि ‘चीन को लामाओं के पुनर्जन्म को नियंत्रित करने के लिए बनाए अपने मनमाने कानून- आदेश संख्या 5-का उपयोग कर तिब्बतियों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद कर देना चाहिए। लामाओं के पुनर्जन्म को नियंत्रित करने की वैधता चीन सरकार के पास नहीं है। दलाई लामा के पुनर्जन्म का निर्णय स्वयं दलाई लामा द्वारा किया जाएगा और लामाओं के पुनर्जन्म का निर्णय लामाओं द्वारा किया जाएगा। यह उसी तरह के अलग- अलग मामले हैं जैसा कि चर्च और राज्य के बीच विहित है।‘
विशिष्ट अतिथि स्विट्जरलैंड के राष्ट्रीय संसद के सदस्य माननीय कार्लो सोमारुगा ने चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे को स्मरण किया, जिसके कारण तिब्बत के तत्कालीन धार्मिक और आध्यात्मिक नेता परम पावन दलाई लामा को मजबूरन भागना पड़ा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हालांकि, राज्य द्वारा निगरानी कुछ लोकतांत्रिक देशों में भी एक प्रथा सी बन गई है, लेकिन ‘व्यक्तिगत निगरानी का कार्यान्वयन कराने में कठोरता यहां बहुत ही आहत करनेवाला है। यहां यह सब बहुत तेजी से होता है क्योंकि चीन में राज्य की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए कोई कानूनी संस्था या प्रावधान नहीं हैं।‘
उन्होंने अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा, ‘स्विस सांसद के रूप में मैं आपसे वादा कर सकता हूं कि अपने सहयोगियों और स्विस संसद के सदस्यों के साथ हम वह सब करेंगे जो हम चीन में नागरिकों की निगरानी, विशेष रूप से तिब्बतियों और उइगर की निगरानी का प्रतिरोध करने के लिए कर सकते हैं। हम मानवाधिकारों के उल्लंघन, विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता के हनन खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए स्विस सरकार को प्रेरित करने की कोशिश करेंगे।‘
2019 के लिए क्रॉस-कटिंग थीम ‘चीन का उच्च तकनीकी उपकरणों से दमन और धर्म की स्वतंत्रता’ है। कृत्रिम बुद्धमित्ता, चेहरे की पहचान, बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन, सोशल मैनेजमेंट का ग्रिड सिस्टम, जीपीएस टैगिंग, सोशल क्रेडिट सिस्टम और पक्षी के रूप में छिपे हुए ड्रोन। यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा उच्च तकनीक निगरानी की वास्तविकता है, जिसने तिब्बत को दुनिया का दूसरा सबसे कम आजाद देश बना दिया है। इसके अलावा डिटेंशन शिविरों में दस लाख से अधिक उइगरों को रखा गया है।
2019 के जिनेवा फोरम ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शासन में क्षेत्रों में मानवाधिकार की स्थिति की निगरानी और मूल्यांकन करने के लिए मानवाधिकार विशेषज्ञों, वकीलों, शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, सरकारों, राजनयिकों, थिंक टैंकों, सिविल सोसाइटी समूहों और प्रभावित समूहों को एक साथ खड़ा किया है।
14-15 नवंबर को आयोजित दो दिवसीय फोरम में चार पैनल गठित किए गए।
पैनल 1- मानवाधिकारों का भविष्य और तकनीक
पैनल 2- चीन में लोगों के विश्वासों के दमन में उच्च तकनीक का उपयोग।
पैनल 3- बीजिंग द्वारा निगरानी तकनीकों का निर्यात
पैनल 4- चीन नियंत्रित तानाशाह दुनिया में भय का मुकाबला।
फोरम में सबसे लंबे समय तक जेल में रहीं महिला पूर्व राजनीतिक कैदी, फुंटसोग न्यड्रॉन की गवाही भी दर्ज की गई।