tibet.net, २३ जुलाई २०२१
धर्मशाला। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने २१-२३ जुलाई तक तथाकथित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) का आश्चर्यजनक रूप से दौरा किया है। २०१३ में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से यह इस क्षेत्र की उनकी पहली यात्रा थी। कहा जाता है कि गुरुवार को तिब्बत की राजधानी ल्हासा आने से पहले शी ने भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्र निंगत्री का दौरा किया था। सोशल मीडिया पर जारी वीडियो क्लिप में शी पोटाला पैलेस के सामने सड़क पर लोगों से बात करते नजर आ रहे हैं. शी के साथ टीएआर के पार्टी सचिव वू यिंगजी और टीएआर के अध्यक्ष चे दल्हा और अन्य अधिकारी थे।
यात्रा की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रवक्ता, अतिरिक्त सचिव तेनज़िन लेक्षेय ने कहा:
‘चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बड़ी धूमधाम से ल्हासा और निंगत्री का दौरा किया। मैं समझता हूं कि राष्ट्रपति के रूप में यह उनकी पहली तिब्बत यात्रा है। इस यात्रा से उन्हें तिब्बत की वास्तविक आकांक्षाओं को समझना चाहिए और विचार करना चाहिए कि तिब्बत मुद्दा एक लंबे समय से लंबित मुद्दा है जो अभी भी अनसुलझा है। उन्हें तिब्बती प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच बातचीत फिर से शुरू करनी चाहिए।’
कई लोग मानते हैं कि यह यात्रा विवादास्पद १७ सूत्री समझौते की ७०वीं वर्षगांठ से जुड़ी है, जिस पर तिब्बतियों को १९५१ में चीनी सरकार के दबाव में हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था। २०११ में जब शी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के उपाध्यक्ष थे, तब उन्होंने ल्हासा की यात्रा की थी। इससे पहले की उनकी वह ल्हासा यात्रा समझौते की ६०वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई थी। शी १९९८ में फ़ुज़ियान प्रांत के पार्टी सचिव के रूप में भी तिब्बत का दौरा कर चुके हैं।
ल्हासा में शी ने कथित तौर पर पोटाला महल के सामने जनता से कहा कि ‘जब तक हम कम्युनिस्ट पार्टी का अनुसरण करते रहेंगे, जब तक हम चीनी विशेषताओं वाले समाजवाद के मार्ग का पालन करते रहेंगे, तब तक हम निश्चित रूप से चीनी राष्ट्र के महान कायाकल्प प्राप्त करने में सक्षम होंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘पूरे तिब्बत में सभी नस्लीय समूह भविष्य में एक सुखी जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। इस बात को लेकर हम भी आपके जैसे ही आत्मविश्वास से भरे हैं।’ निंगत्री में, उन्होंने मेनलिंग हवाई अड्डे का दौरा किया और यारलुंग त्सांग्पो और निंगत्री रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया।