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जिनेवा।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के ५०वें सत्र के दूसरे दिन संयुक्त राष्ट्र के ४७ सदस्य देशों ने कहा कि तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में वे ‘गंभीर रूप से चिंतित’ हैं।
१४ जून को उच्चायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट पर एक संवादात्मक चर्चा के दौरान क्रॉस रीजनल संयुक्त वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए नीदरलैंड ने ४७ सदस्य देशों की ओर से एक बयान दिया। बयान में चीन द्वारा विशेष रूप से तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और हांगकांग में मानवाधिकारों के व्यवस्थित उल्लंघन पर प्रकाश डाला गया।
बयान में कहा गया कि ये देश ‘हांगकांग में मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के सम्मान में गिरावट और तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में गंभीर रूप से चिंतित हैं।‘
संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त की हालिया चीन यात्रा और २८ मई के मिशन वक्तव्य के अंत के मद्देनजर, सदस्य देशों ने उच्चायुक्त पर विस्तृत रिपोर्ट का खुलासा करने के लिए दबाव डाला, जिसमें सिविल सोसायटी के लोगों की यात्रा और पहुंच पर लगाए गए बीजिंग प्रतिबंध शामिल हों।
इसके अलावा, इन देशों ने चीन से लोगों को देश में सार्थक और निरापद आवागमन की सुविधा प्रदान करने,कानून के शासन का पूर्ण रूप से पालन करने, मानवाधिकारों की सुरक्षा के संबंध में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत दायित्वों का पालन करने और नागरिक और अंतरराष्ट्रीय संधियों की राजनीतिक अधिकारों की पुष्टि करने का आह्रवान किया।
चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर नीदरलैंड के नेतृत्व वाले संयुक्त बयान पर अल्बानिया, अंडोरा, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बेलीज, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, इस्वातिनी, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्वाटेमाला, होंडुरास, आइसलैंड, आयरलैंड, इज़राइल, इटली, जापान, लातविया, लिकटेंस्टीन, लाइबेरिया, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, मार्शल द्वीप, मोनाको, मोंटेनेग्रो, न्यूजीलैंड, उत्तरी मैसेडोनिया, नॉर्वे, पलाऊ, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, सैन मैरिनो, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विटजरलैंड, यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड औरसंयुक्त राज्य अमेरिका ने हस्ताक्षर किए।
१३मई को बुलाई गई ५०वीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का नियमित सत्र ०८जुलाई को समाप्त होगा। ५०वें यूएनएचआरसी सत्र से पहले ४० से अधिक संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के एक समूह ने चीन से ‘बर्बर और व्यवस्थित मानवाधिकार उल्लंघन’ को रोकने का आह्वान किया और चीन तक ‘बिना किसी बाधा के आवागमन’ सुनिश्चित करने की मांग की।