मदनगंज -किशनगढ (अजमेर )। तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि दुनिया में किसी भी विवाद का हल केवल बातचीत है। इसके लिए पहले जरुरत शांति है । यहां तिलोनिया गांव में रविवार बेयरफुट कॉलेज में संचालित गतिविधियों का अवलोकन करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होने भारत- पाक से बातचीत में उन्होने भारत -पाक के बीच सुधरते संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि दोनों देशो में समय -समय पर बातचीत हुई , उसी का नतीजा है कि तनाव कम हुआ है।
उन्होंने कहा कि देश में अभी अमीरी व गरीबी के बीच गहरी खाई है इसे पाटना सभी की नैतिक व सामाजिक जिम्मेदारी है। उन्होंने जरुरतमंद लोगों को भी सुझाव दिया कि वह किसी की दया का पात्र ने बनें बल्कि स्वयं की क्षमता को परखें और ज्ञान हासिल कर खुद को आत्मनिर्भर बनाएं।
उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में कई देशों में गरीबी एक बडी समस्य़ा है। यदि उन देशों के हुक्मरानों ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए तो यह समस्या तनाव व असंतोष का रुप ले लेगी जो बाद में हिंसा में तब्दील हो सकती है। उन्होने कहा कि भारत में साठ प्रतिशत से अधिक लोग गांवों में साठ प्रतिशत से अधिक लोग गांवों में बसते है यहां विकास की सख्त दरकार है , यदि गांवों के लोगों को तकनीकी रुप से शिक्षित किया जाए तो गांवो में विकास की बयार बहेगी व देश तरक्की की राह पर आगे बढ सकेगा।
करमापा प्रकरण सुलक्षा ।
करमापा के पास अकूत राशि मिलने के प्रश्न पर उन्होंने बताया कि ट्रस्ट के दस्तावेजों में कुछ इंद्राज गलत हो गए थे लेकिन अब सब कुछ ठीक हो गया है । स्वयं की ओर से पद छोडे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह तो वर्ष 2001 में ही पद छोडने चाहते थे लेकिन अब वक्त आ गया है कि वह अपनी जिम्मेदारियां हस्तांतरित कर दें । उन्होंने कहा कि 52 वर्ष बाद भी तिब्बत की स्वायत्तता का प्रश्न बरकार है यह अफसोसजनक है ।
शांति सिर्फ बातचीत से । दलाई लामा
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