वाराणसी । शांति के ही मार्ग पर चलकर हम अपने परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है । मानवमन की भावनाओं को प्रेरित करने वोले और सत्य का मार्ग दिखाने वाले प्राचीन शास्त्र हमारे पास मार्ग दर्शक के रुप में मौजूद है । उन्हें सहेजना होगा। यो बाते बौद्ध धर्म के सर्वेच्च धर्म गुरु परम पावन दलाई लामा नें मंगलवार को केन्द्रीय विश्वविधालय और अमेरिकन इंस्टीटयूट आफ बुद्धिस्ट स्टडीज कोलम्बिया द्वारा आयोजित चार दिवसीय अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन के अवसर पर कहा । उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म का ज्ञान कमियों को दूर करने का रास्ता दिखाता है । इस मौके पर दलाई लामा ने विभिन्न देशों से आए विद्वानों के प्रशनों का जवाब तर्क पूर्वक सहजता के साथ दिया । उन्होंने कहा कि मानव समृद्ध बौद्ध साहित्य के द्वारा ही बुद्धत्व को प्राप्त कर सकता है । सम्मेलनको संबोधिंत करते हुए कुलपति पधश्री नवांग समतेन ने कहा कि तिब्बती ग्रंथों के अनुवाद की दिशा में किये गए भारतीय विद्वानों के प्रयास अतुलनीय है । अगर इसके सकार आत्मक पक्षों को देखा जाए तो भारत -तिब्बत के प्राचीन मैत्री का भाव सहज उत्पन्न हो जाता है । सम्मेलन में निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री प्रो. समदोंग रिनपोछे , कोलम्बिया विश्वविधालय के प्रो. राबर्ट थर्मन , प्रो. रामशांकर त्रिपाठी , प्रो. राबर्ट थर्मन , प्रो. रामशंकर त्रिपाठी , प्रो. कामेश्वर नाथ मिश्र, प्रो. एस. रिनपोछे , डा. लोब्संग नोरबु ने भी अपना विचार वयक्त किया ।
शांति के मार्ग पर ही चलकर होगी परम लक्ष्य की प्राप्ति -दलाई लामा ।
विशेष पोस्ट
संबंधित पोस्ट