समय Live, 11 नवंबर 2013
तिब्बती बौद्ध नेता दलाई लामा ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान के विशाल भंडार की अनदेखी नहीं करनी चाहिए.
नई दिल्ली में ‘नालंदा ट्रेडिशन ऑफ बुद्धिज्म इन एशिया’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए दलाई लामा ने महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से कहा कि उन्हें प्राचीन भारतीय बौद्ध शिक्षाओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए और उन्हें अकादमिक विषयों के रूप में देखा जाना चाहिए न कि सिर्फ धार्मिक शिक्षाओं के रूप में.
उन्होंने कहा कि आधुनिक भारतीय पश्चिम से प्रभावित हैं. विज्ञान एवं प्रौद्योगिक अहम है और उस ओर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने चीन का जिक्र करते हुए कहा कि वह तेजी से विश्व के साथ कदम मिला रहा है. लेकिन हजारों साल पुराने ज्ञान की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.
नालंदा विश्वविद्यालय की इमारतें भले ही नष्ट हो गयी हैं लेकिन ज्ञान अभी तक 21वीं सदी में भी मौजूद है. उन्होंने कहा कि हम तिब्बितयों ने बहस करके, पढ़कर और याद रखकर एक हजार साल तक नालंदा ज्ञान को सुरक्षित रखा.
उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के भारतीय सिद्धांत की भी सराहना की और कहा कि इसमें न सिर्फ अन्य धर्मों बल्कि नास्तिकों का भी सम्मान किया जाता है.