अमर उजाला, 13 सितंबर 2014
निवार्सित तिब्बत संसद ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अगले हफ्ते भारत दौरे के दौरान उनसे मध्य मार्ग दृष्टिकोण के परस्पर लाभप्रद नीति के माध्यम से तिब्बत की समस्या के समाधान का आग्रह किया है।
मैकलोडगंज में शुक्रवार को 15वीं निर्वासित तिब्बत संसद का आठवां सत्र शुरू हुआ। निर्वासित तिब्बत संसद के स्पीकर पेंपा शेरिंग ने भारत सरकार से आग्रह किया कि तिब्बत की समस्या को चीन के राष्ट्रपति के समक्ष इस दौरे के दौरान उठाए।
उन्होंने कहा कि चीन के राष्ट्रपति तिब्बत पर अधिक ध्यान केंद्रिंत करें। तिब्बती लोगों की शिकायतों के असल कारणों को जानने की कोशिश करें। शी जिनपिंग मिडल वे अपरोच के माध्यम से तिब्बत समस्या का समाधान निकालें।
उन्होंने कहा कि चीनी राष्ट्रपति अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करें। चीन के संविधान के तहत वह तिब्बतियों को विशेषाधिकार और बराबर के अधिकार दें।
सत्र के दौरान नई दिल्ली में चीनी दूतावास के माध्यम से चीनी सरकार से आग्रह किया गया कि तिब्बती संसदीय प्रतिनिधिमंडल को तिब्बत की यात्रा करने की अनुमति प्रदान की जाए।
उन्होंने तिब्बत में आर्थिक विकास की आड़ में आयोजित सांस्कृतिक आत्मसात नीतियों के लिए चीन सरकार की निंदा भी की। उन्होंने कहा कि तिब्बत में चीनी रेल नेटवर्क का विस्तार तिब्बत के लिए फायदेमंद नहीं है। इससे तिब्बत का नाजुक पर्यावरण नष्ट होगा।