tibet.net / मऊ(चित्रकूट)। मध्य प्रदेश की उत्तरी सीमा के पास जहां उत्तर प्रदेश के मैदानों के खेत और वनस्पतियों के बजाय झाड़ियों और पौधों के साथ छोटी पहाड़ियों का इलाका शुरू होने लगता है, यहां पर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का चित्रकूट धाम अवस्थित है। उत्तर प्रदेश के इस चित्रकूट जिले की एक तहसील मऊ के महामती प्राणनाथ पीजी कॉलेज में ‘ए डे फॉर तिब्बत’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के पूर्वी और मध्य यूपी के क्षेत्रीय संयोजक श्री सुंदरलाल सुमन यहां अपने सामाजिक और सामुदायिक सेवा कार्यों के अलावा, तिब्बत के साथ भारत के संबंधों के बारे में लोगों में जागरुकता फैलाने और तिब्बत मुद्दे को प्रचारित करने में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। उन्हीं के प्रयास और योजना के मुताबिक, उक्त परिसर में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महामती प्राणनाथ पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ संतोष कुमार चतुर्वेदी ने कायक्रम में आए केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान सारनाथ में बौद्ध दर्शन संकाय के डॉ रमेश चंद्र नेगी, पी.एच.डी. के छात्र भिक्षु तेनज़िन न्यिमा और आईटीसीओ के समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्ट्रिम के साथ अन्य सभी अतिथियों का स्वागत किया।
दिवंगत माता बादल जायसवाल द्वारा १९७४में स्थापित एमएमपीएन पीजी कॉलेज को इस आयोजन के उत्सव के लिए इसके प्रवेश द्वार से आयोजन स्थल तक एक नया रूप दिया गया था। कार्यक्रम के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे समारोह के मुख्य अतिथि एमएमपीएन के राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ. एस. कुनिल ने सरस्वती वंदना प्रार्थना के बाद यूपी के इस ग्रामीण इलाके में आज के आयोजन के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। श्री सुंदरलाल सुमन ने पारंपरिक माला पहनाकर और शॉल ओढ़ाकर अतिथि वक्ताओं का परिचय कराया। उन्होंने भारत और तिब्बत विषय पर आयोजित की गई निबंध प्रतियोगिता के बारे में बताया, जिसमें कॉलेज के ३०छात्रों ने भाग लिया था। चूंकि इसे खुला रखा गया था और जबरदस्ती नहीं किया गया था, इसलिए आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि उन निबंधों की उच्च स्तरीय गुणवत्ता को देखते हुए पुरस्कार के लिए उनमें से कुछेक का चयन करने का उनका मन नहीं हुआ। इसलिए उन्होंने सभी को उनके बेहतर प्रयास के लिए सम्मानित करने का फैसला किया। इस प्रकार, इन सभी छात्रों को स्मारिका का टोकन देकर सम्मानित किया गया जो कम से कम तिब्बत पर कुछ संलग्न करने के लिए उनकी स्मृति के रूप में काम करेगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया कि आज के कार्यक्रम की योजना न केवल निबंध प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण के लिए बल्कि परम पावन दलाई लामा के नोबेल शांति पुरस्कार दिवस समारोह के साथ-साथ सार्वभौमिक मानवाधिकार दिवस के उत्सव के लिए भी बनाई गई थी।
इसके अलावा, वाराणसी के सारनाथ स्थित सीआईएचटीएस में बौद्ध अध्ययन संकाय के डॉ रमेश चंद्र नेगी ने तिब्बत के साथ भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक संबंध के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने आधुनिक शिक्षा की व्यावहारिकताओं का पालन करते हुए पारंपरिक ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। ऐसा कहकर उन्होंने मानवीय मूल्यों की शिक्षा का संकेत दिया जिसे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के विभिन्न रूपों में बंटा हुआ दिखाई देता है।
डॉ.नेगी ने संकाय से आग्रह किया कि एक ऐसा पाठ्यक्रम बनाया जाए जिसमें छात्रों को न केवल आज के लोकप्रिय संस्थानों और कॉलेजों के बारे में बल्कि नालंदा और तक्षशिला जैसे अतीत के संस्थानों के बारे में भी पता चलेगा जो भारत की शिक्षा और नैतिकता के केंद्र रहे हैं। उन्होंने आगे अनंत ज्ञान स्रोत के विस्तार की संभावना के बारे में प्रकाश डाला, जिसे आज की प्रौद्योगिकी ने अधिक सुलभ बना दिया है।
इस संबंध में क्रमशः तिब्बत के साथ भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक सीमाओं और पारिस्थितिकीय महत्व को जानने के दृष्टिकोण को साझा करते हुए आईटीसीओ के समन्वयक ने अपने संबोधन में मऊ जैसी जगह में इस ऐतिहासिक यात्रा में सहयोग करने के लिए कॉलेज, इसके प्राचार्य, प्रशासनिक सदस्यों और उनके सहयोगियों का बहुत धन्यवाद दिया। उन्होंने तिब्बत के इतिहास के शुरुआती दिनों से लेकर १९५० के दशक में विस्तारवादी कम्युनिस्ट चीन का शिकार नहीं होने तक तिब्बती लोगों के रंगीन जीवन के बारे में छात्रों को जानकारी दी।
कार्यक्रम के अंत में एमएमपीएन के प्राचार्य डॉ.संतोष कुमार चतुर्वेदी ने एक हिंदी कविता पढ़ी जो मूल रूप से भुचुंग डी. सोनम द्वारा लिखी गई थी, जो तिब्बती लोगों को अपनी मातृभूमि से अलग होने के दर्द को बयां करती है। फैकल्टी सदस्यों के साथ लगभग ५००छात्रों ने इस सत्र में भाग लिया और प्रश्नोत्तर के साथ कार्यक्रम को फलदायक बना दिया। इन छात्रों (विशेषकर अभिषेक, गीतांजलि, निकिता, शिबू दुबे और अन्य सहित छात्रों से) द्वारा किए गए प्रश्नों में वास्तविक चिंताओं, भावों और जिज्ञासाओं को देखा गया। कार्यक्रम ११:३० बजे शुरू हुआ और १४:३० बजे समाप्त हुआ।