नवभारत टाइम्स, 14 मार्च 2013
पीटीआई॥ मथुरा : तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा को इलाहाबाद के महाकुंभ में न पहुंचने का अब भी काफी मलाल है। उन्होंने कहा कि मथुरा में यमुना नदी के किनारे से मुझे वही अहसास हो रहा है, जो इलाहाबाद में महाकुंभ पहुंचकर होता। वे यहां गोकुल में यमुना किनारे रमण रेती आश्रम में आयोजित 2 दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आये थे। गौरतलब है कि इलाहाबाद में महाकुंभ 14 जनवरी को मकर संक्रांति से शुरू हुआ था और 10 मार्च को महाशिवरात्रि पर कुंभ का औपचारिक रूप से समापन हो गया।
उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें इलाहाबाद महाकुंभ में नहीं पहुंच पाने का मलाल आज भी है। उन्होंने यमुना की पवित्रता बनाए रखने के लिए ब्रज वासियों की ‘यमुना मुक्ति पदयात्रा’ की काफी प्रशंसा की। उन्होने कहा कि गंगा और यमुना केवल नदियां नहीं है, बल्कि यह हमारी लाइफ लाइन बन चुकी है। इन नदियों के साथ भारतीय जनमानस की श्रद्धा और आस्था जुड़ी है। दलाई लामा ने कहा कि भारत में सभी धर्मों को समान रूप से प्रश्रय मिलना यहां की उदार संस्कृति और बौद्धिक जीवंतता का प्रमाण है।