27 नवम्बर 2012
तिब्बत में पिछले एक साल में अस्सी से भी ज्यादा लोग आत्मदाह कर चुके हैं ।दुनिया भर में मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने वाली भारत सरकार आश्चर्यजनक चुप्पी साधे हुये है । तिब्बत हमारा पड़ोसी देश है और वह चीन से मुक्त होने के लिये आत्मबलिदान कर रहा है । इस संग्राम में भारत के लोग तिब्बतियों के साथ हैं लेकिन यहाँ की सरकार एक शब्द बोलने को भी तैयार नहीं है । भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने ये शब्द कल 27 नवम्बर को हिमाचल प्रदेश में काठगढ़ स्थित अरनी विश्वविद्यालय में , भारत चीन सम्बंध और तिब्बत मुक्ति साधना विषय पर बोलते हुये कहे ।
डा अग्निहोत्री ने कहा चीन के भारत पर आक्रमण के पचास साल पूरे हो गये हैं लेकिन लगता नहीं भारत सरकार ने उससे कोई सबक सीखा हो । दिल्ली में अभी भी हिन्दी चीनी भाई भाई का वातावरण बनाने की कोशिश हो रही है । चीन भारत की सीमा का बार बार अतिक्रमण कर रहा है और भारत सरकार दिल्ली में पंचशील संधि की जयन्तियां मनाती रहती है । चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा ही नहीं बताता बल्कि वहाँ किसी केन्द्रीय मंत्री के जाने पर बाकायदा आपत्ति दर्ज करवाता है । लेकिन भारत सरकार तिब्बत में चीनी अत्याचारों पर एक शब्द बोलने से भी कतराती है ।
अग्निहोत्री ने कहा भारत सरकार को सीमान्त क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं का विस्तार करना चाहिये और चीन से शक्ति की भाषा में बात करनी चाहिये क्योंकि वह वही भाषा समझता है । कार्यक्रम से पूर्व विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सह मंत्री राहुल पाराशर ने अतिथियों का स्वागत किया । विश्वविद्यालय के कुलपति डा रवीन्द्र भारद्वाज ने अग्निहोत्री का अभिनन्दन करते हुये प्रसन्नता प्रकट की कि भारत तिब्बत सहयोग मंच ने एक सही समस्या की ओर देश का ध्यान खींचा है ।