चौंतड़ा: भारत एक दयालु व सहयोगी देश है और पूरा तिब्बती समाज भारत का एहसानमंद है तथा जो सहयोग भारत ने तिब्बती लोगों को दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। ये शब्द तिब्बतियन धर्मगुरु व नोबल पुरस्कार विजेता महामहिम दलाईलामा ने चौंतड़ा में जाबसांग छोको क्षलग मोनैस्ट्री का लोकार्पण करने के बाद उपस्थित तिब्बती व स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहे। अपने संबोधन में दलाईलामा ने कहा कि भारत ने तिब्बती लोगों के प्रति माता-पिता व एक बच्चे की तरह रिश्ते को निभाया है और तिब्बतियन लोगों को छत्र छाया दी।
उन्होंने कहा कि भारत में रहते हुए 55 वर्ष हो गए हैं और भारत ने इस दौरान पूरा सहयोग दिया है। उन्होंने कहा कि सदियों पूर्व भारत में ही बौद्ध धर्म का जन्म हुआ था और भारत में तिब्बतियन लोगों के रहने के बाद भी आज बौद्ध धर्म पूरे विश्व में फैला है। आज बौद्ध धर्म को जानने व ज्ञान प्राप्त करने के लिए विभिन्न सुमदायों के लोगों में जिज्ञासा भी बढ़ी है। इस अवसर पर महामहिम दलाईलामा ने इस मौनेस्ट्री के निर्माण व संचालन में सहयोग करने वाले हांगकांग के टैरी व उनकी पत्नी लुसिया का आभार जताकर खता पहना कर सम्मानित किया।
महामहिम ने छोको लोडी तिब्बतियन कालेज व भुमांग तिब्बतियन मौनेस्ट्री में जाकर लोगों के धर्म व ज्ञान पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर तिब्बतियन निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री डा लोबसांग सांग्ये के साथ विधानसभा अध्यक्ष पेमा शिरिंग, उपाध्यक्ष सोनम व न्यायिक अधिकारी नाबांग फेगिल के साथ प्रदेश सरकार के प्रशासनिक विभाग के आला अधिकारी भी मौजूद रहे।