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चीन पर कांग्रेस-कार्यकारी आयोग (सीईसीसी) के अध्यक्षों ने बाइडेन प्रशासन के तीन कैबिनेट सदस्यों को पत्र लिखकर चीन सरकार द्वारा तिब्बत में बड़े पैमाने पर बायोमेट्रिक डेटा संग्रह और पारिवारिक अलगाव कराने पर वैश्विक मैग्निट्स्की प्रतिबंधों सहित संभावित कार्रवाई का आग्रह किया है।
वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो, वित्त मंत्री जेनेट येलेन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को लिखे अपने पत्र में प्रतिनिधि क्रिस स्मिथ, आर-एनजेऔर सेन जेफ मर्कलेडी-वॉश ने तीनों नेताओं से तिब्बत में राजनीतिक पहचान और नस्लीय प्रोफाइलिंग पर नियंत्रण के लिए बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने के लिए चीन के सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो और तिब्बत में अन्य संस्थाओं द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है।
आयोग के अध्यक्ष स्मिथ और सह-अध्यक्ष मर्कले ने पत्र में लिखा है, ‘चूंकि आप सब लोग ‘एंड-यूजर रिव्यू कमेटी में भूमिका निभाते हैं, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप अपनी उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो की स्थायी सूची में (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो और बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह परियोजना से संबद्ध हरेक संस्थाओं को शामिल कर लें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अमेरिकी कंपनियां टीएआर या अन्य तिब्बती क्षेत्रों में बायोमेट्रिक आईडी निगरानी क्षमताओं के संग्रह और निर्माण में योगदान नहीं दे पाएंगी और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल नहीं होंगी।‘
पत्र में कहा गया है कि मंत्रीगण अपनी कार्रवाई में ‘बड़े पैमाने पर बायोमेट्रिक डेटा संग्रह में मिलीभगत और तिब्बती बच्चों को उनके माता-पिता से जबरन अलग करने के लिए तिब्बती क्षेत्रों में अधिकारियों के लिए वैश्विक मैग्निट्स्की प्रतिबंध या वीज़ा प्रतिबंध को भी शामिल कर सकते हैं।‘इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत के अध्यक्ष तेनचो ग्यात्सो ने कहा, ‘सीईसीसी अध्यक्षों ने तिब्बत में बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह और तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से अकारण अलग करने के लिए चीनी अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आह्वान किया है। हम मंत्रिगण- रायमोंडो, येलेन और ब्लिंकन से आग्रह करते हैं कि वे सीईसीसी अध्यक्षों के संदेश पर ध्यान दें और चीन के दुर्व्यवहारों में अमेरिकी व्यापारिक सहभागिता को सीमित करने और तिब्बती लोगों के अधिकारों के लिए खड़े होने के लिए उपरोक्त कदम उठाएं।‘
बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह
पत्र में कहा गया है, ‘कांग्रेस में चली सुनवाई और हमारी जांच से यह स्पष्ट है कि तिब्बत में कम से कम पिछले छह वर्षों से डीएनए और अन्य बायोमेट्रिक डेटा का बड़े पैमाने पर संग्रह हो रहा है।‘सिटीजन लैब ने सितंबर- २०२२ में बताया कि चीन की पुलिस ने पिछले छह वर्षों में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (जो तिब्बत के लगभग आधे हिस्से तक फैला है) में लगभग ९,२०,००० से १२ लाख तक लोगों के डीएनए नमूने एकत्र किए होंगे। ये आंकड़े क्षेत्र की कुल आबादी का एक-चौथाई से एक-तिहाई तक के हैं।
सितंबर- २०२२ में ही ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि चीन के अधिकारी टीएआर के निवासियों से व्यवस्थित रूप से डीएनए एकत्र कर रहे हैं, जिसमें पांच वर्ष तक के बच्चों से भी उनके माता-पिता की सहमति के बिना रक्त का नमूना लिया जा रहा है।
इस साल की शुरुआत में ब्लिंकन ने कहा था कि वह ‘तिब्बती आबादी पर नियंत्रण और निगरानी के एक अतिरिक्त तरीके के तौर पर तिब्बत में बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह के प्रसार की रिपोर्टों से चिंतित हैं।‘सीईसीसी अध्यक्षों के पत्र में कहा गया है, ‘तिब्बतियों का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है कि उनके (रक्त) के नमूने कैसे एकत्र किए गए, संग्रहीत किए गए और उपयोग किए गए। न ही वे अपने और अपने खानदान के डीएनए संग्रह के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में जानते हैं।‘पत्र में कहा गया है, ‘इन परिस्थितियों पर आपकी ओर से मजबूत प्रतिक्रिया होनी चाहिए।‘
अमेरिकी कंपनियां
पत्र में कहा गया है कि मैसाचुसेट्स स्थित थर्मो फिशर साइंटिफिक कंपनी ने टीएआर में पुलिस को डीएनए सीक्वेंसर के लिए अपने डीएनए किट और प्रतिस्थापन हिस्से बेचे हैं। पत्र में कहा गया है, ‘थर्मो फिशर दावे के साथ यह विश्वास नहीं कर सकती है कि उसके उत्पादों का इस्तेमाल केवल पुलिस के अपने कार्यों के लिए किया जा रहा है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) में डीएनए और अन्य संवेदनशील बायोमेट्रिक डेटा एकत्र और उपयोग करने प्रवृत्ति को देखते हुए है कहा जा सकता है कि इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए निगरानी के बहुत कम उपाय हैं। हमारी चिंता है कि बायोमेट्रिक संग्रह और विश्लेषण उपकरण- जबरन मानव अंगों को शरीर से निकाल लेने से लेकर व्यक्ति की बड़े पैमाने पर निगरानी करने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं और ये मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन को तेज कर सकते हैं।‘
पत्र में कहा गया है कि मंत्रियों को ‘यह सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस के साथ काम करना चाहिए कि प्रौद्योगिकी की भविष्य में पीआरसी में तैनाती और बायोमेट्रिक आईडी निगरानी के प्रबंधन के लिए के निर्यात को रोकने और नियंत्रित करने के पुख्ता इंतजाम कर लिए गए हैं।‘
तिब्बती बच्चों का जबरन अलगाव
चीन ने ६० वर्षों से अधिक समय से तिब्बत पर बेरहमी से कब्जा कर रखा है। निगरानी समूह फ्रीडम हाउस के अनुसार, इस कारण यह दक्षिण सूडान और सीरिया के साथ पृथ्वी पर सबसे कम आजादी वाला देश बन गया है।
मानवाधिकारों के हालिया हनन के सबसे जघन्य उदाहरणों में से एक में चीनी सरकार ने सरकारी आवासीय स्कूलों में १० लाख से अधिक तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर रख दिया है। यहां उन्हें धर्म, भाषा और संस्कृति से काट दिया गया है। अगस्त में ब्लिंकन ने आवासीय स्कूल कार्यक्रम को चलानेवाले चीनी अधिकारियों पर वीज़ा प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा कि चीन की ‘जबरन वाली नीतियां तिब्बत की युवा पीढ़ियों के बीच तिब्बत की विशिष्ट भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को खत्म करना चाहती हैं। ‘ सीईसीसी अध्यक्षों ने अपने पत्र में बच्चों को उनके परिवारों से अलग करने और तिब्बती लोगों के साथ अन्य दुर्व्यवहारों के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों पर वैश्विक मैग्निट्स्की प्रतिबंधों को लागू करने का सुझाव दिया है।
पत्र में कहा गया है, ‘जिन अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए उनकी सूची संभवतः बहुत लंबी है। क्योंकि तिब्बती लोग दशकों से लगातार और कभी-कभी क्रूर, दमन और सामाजिक नियंत्रण के अभियानों का शिकार होते रहे हैं। लेकिन हम प्रशासन से स्पष्ट रुख अपनाने के लिए कहते हैं कि जो लोग तिब्बतियों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अधिकारों का घोर दुरुपयोग करते हैं, उन्हें अमेरिका या इसकी वित्तीय प्रणाली तक पहुंच का लाभ नहीं मिलना चाहिए।‘