29 नवंबर, 2022
ताइपे (ताइवान)। ओओटी के एक प्रतिनिधि के नेतृत्व में तिब्बती संघों ने 27 नवंबर को ताइवानी संघों के साथ संयुक्त रूप से ताइपे में ‘समान आधार की खोज’ विषय पर एक बैठक आयोजित की। इस वर्ष का विषय था कि ताइवान और निर्वासित तिब्बती लोकतंत्र भविष्य में चीन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
बैठक की अध्यक्षता मुख्य अतिथि लेखक लोब हेउ जॉन ने की। इसमें ओओटी प्रतिनिधि केलसांग ग्यालत्सेन बावा शामिल हुए और सम्मेलन के उद्देश्य और नियमों- विनियमों की जानकारी दी। तिब्बती संघों के अध्यक्ष ताशी छेरिंग, प्रोफेसर छिम चान योन ने सम्मेलन में उद्घाटन भाषण किया। पहला सत्र लोकतंत्र के प्रति जागरूकता और छह विशेषज्ञों के अनुभवों के आदान-प्रदान पर था। पहले वक्ता द सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क के प्रोफेसर मिंग शिया ने लोकतंत्र के प्रति जागरूकता, परम पावन दलाई लामा के दृष्टिकोण और निर्वासित तिब्बती लोकतंत्र के मुद्दे पर सभा को संबोधित किया।
राष्ट्रीय ताइवान विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर चू-चेंग मिंग ने ताइवान के हाल के क्षेत्रीय चुनाव परिणामों के बारे में बताया। यह चुनाव परिणाम भविष्य में चीन और ताइवान के बीच संबंधों, ताइवान के नीति-निर्माण और वैश्विक स्थिति को प्रभावित करेगा।
ताइवान के प्रतिनिधि ने तिब्बती लोकतंत्र के बारे में जानकारी दी, जिसे परम पावन दलाई लामा के निर्वासन में आने के बाद दुनिया भर में फैले तिब्बती समुदाय के बीच उनके विकास के दृष्टिकोण के अनुसार स्थापित किया गया था। उनके बाद जाने-माने रिपोर्टर और शोधकर्ता हरि पांग मिंग हू ने एक बाहरी पर्यवेक्षक के तौर पर ताइवान के लोकतंत्र पर बात की। हांगकांग के पूर्व लेजिस्लेटिव सदस्य और अब ताइवान के बस गए शू पेटिल ने हांगकांग के मुद्दे के बारे में बात की।